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बद्रीनाथ मंदिर के रहस्य - Blog

बद्रीनाथ मंदिर के रहस्य

बद्रीनाथ मंदिर के रहस्य

बद्रीनाथ धाम श्रीमन नारायण अर्थात विष्णु जी का धाम है। इस धाम के भी दर्शन करने का बहुत महत्व है। इस मंदिर के विषय में कई अद्भुत रहस्य और बाते हैं। उन अद्बभुत बातो को जानने से पहले बद्रीनाथ धाम की एक प्रचलित कथा जान लेते हैं।

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कहते है बद्रीनाथ पहले शिवजी और पार्वती माता का स्थान था। एक बार विष्णु जी अपने लिए आराम करने की कोई जगह खोज रहे थे, तब उन्हें नर और नारायण पर्वत के बीच का स्थान बहुत पसंद आया था, लेकिन वहां शिवजी और माता पार्वती रहते थे। तब उन्होंने बालक का रूप धरा और उनके दरवाजे पर रोने लगे। जब शिव जी और पार्वती माता भ्रमण करके वापिस आए तो उन्हें एक बालक को अपने घर के दरवाजे पर रोते हुए देखा। बालक को रोता देख माँ पार्वती बालक को उठाने लगी तब शिवजी ने कहा मत उठाओ, ये कोई मायावी है। माँ ने उनकी बात नही मानी और बालक को उठाकर अन्दर ले गई और दूध पिलाकर सुला दिया। बालक को सुलाकर वो दोनों पास वाले गर्म झरने में स्नान करने गए। जब वो वापिस आए तो देखा दरवाजा अन्दर से बंद है, तब शिवजी ने कहा अब ये दरवाजा नही खुलेगा और मैं इसे ताकत से नही खोलूँगा। तब दोनों बद्रीनाथ से केदारनाथ चले गए। तब से वहां विष्णु जी आराम करने आते हैं। 

ऐसे ही एक और कथा प्रचलित है। एक बार विष्णु जी तप में लीन थे  तब वहां बहुत बर्फ़बारी होने लगी। भारी बर्फ़बारी के कारण विष्णु जी का घर बर्फ से ढकने लगा। माँ लक्ष्मी उनके लिए चिंतित होने लगी और वो वहां आकर बदरी वृक्ष बनकर खड़ी हो गई ताकि पूरी बर्फ़बारी वो अपने ऊपर झेल ले और विष्णु जी को कोई परेशानी न हो। माता ने वर्षो तक वर्फ, वर्षा और तेज धूप को अपने ऊपर झेला। जब बर्षो बाद विष्णु जी  ने अपना तप पूर्ण किया तो देखा माता बदरी रूप में उनकी रक्षा के लिए खड़ी हैं। तब उन्होंने उनसे कहा, तुमने भी मेरे सामान ही कठिन तप किया है। आज से यहाँ मेरे साथ साथ तुम्हारी भी पूजा होगी। माता द्वारा बदरी वृक्ष बनकर उनके घर की रक्षा करने के कारण इस धाम का नाम बद्रीनाथ पड़ा।

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बद्रीनाथ के अद्भुत रहस्य

  • इस मंदिर में विष्णु जी 6 महीने गहरी निद्रा में होते हैं और 6 महीने जागे हुए होते हैं।
  • ये मंदिर समुद्र तल से 3300  मीटर ऊंचाई पर अलकनंदा नदी के समीप स्थित है।
  • इस मंदिर में चतुर्भुज ध्यानमुद्रा में विष्णु जी की मूर्ति है जो शालग्रामशिला से बनी है।
  • ये धाम नर और नारायण पर्वत के बीच बना हुआ है।
  • ऐसा माना जाता है जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन के साथ साथ बद्रीनाथ के भी दर्शन करता है उसे उसके समस्त पापो से मुक्ति मिल जाती है।
  • शास्त्रों अनुसार ये वो स्थान है जहाँ पर पांड्वो ने अपना आखरी पड़ाव डाला था।
  • इसी गुफा में महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना की थी।
  • वास्तु कला की बात करे तो ये मंदिर बौद्ध मंदिरों की तरह बनाया गया है।
  • यहाँ हर साल लाखो लोग नारायण स्वामी के दर्शन करने आते हैं।
  • ये पूरा मंदिर तीन भागो में बटा हुआ है, एक है गर्भग्रह, दूसरा है दर्शन मंडप और तीसरा है सभा मंडप।
  • इस मंदिर में शंख बजाना वर्जित है। ऐसा इसलिए क्योकि यहाँ पर बहुत बर्फ़बारी होती रहती है और शंख की ध्वनि के इन बर्फ शिलाओं से टकराने से बर्फीला तूफ़ान आ सकता है।  इसके पीछे एक और कारण है। ऐसा माना जाता है कि एक बार माँ लक्ष्मी तुलसी भवन में ध्यान कर रही थी। तब वहां शंखचूर्ण नामक राक्षस आया था जिसका वध विष्णु जी ने कर दिया था। हिन्दू धर्म में जब भी विजय पाई जाती है तब शंखनाद होता है लेकिन विष्णु ने शंख इसलिए नही बजाया ताकि माँ लक्ष्मी का ध्यान भंग न हो। इस दिन के बाद आज तक यहाँ शंख बजाना वर्जित है। इसी विषय में एक और कथा प्रचलित है। एक बार ऋषि अगस्त्य केदारनाथ धाम  में आए राक्षसों का संहार कर रहे थे तब दो राक्षस जिनका नाम वतापी और अतापी था वहां से भाग गए। अतापी राक्षस मन्दाकिनी नदी में छिप गया और वतापी शंख में। तब से मान्यता है यहाँ शंख बजाने से वो राक्षस बाहर आ जाएगा। 
  • पुराणों की भविष्यवाणी के अनुसार बद्रीनाथ विलुप्त हो जाता। जब नर और नारायण पर्वत जिनके बीच बद्रीनाथ धाम स्थित है, आपस में मिलेगे तब बद्रीनाथ जाने के सभी मार्ग हमेशा के लिए अवरोधित हो जाएगे और कोई भी भक्त उस धाम तक नही पहुंच पाएगा। बद्रीनाथ और केदारनाथ के विलुप्त होने के कई सालो बाद यहाँ एक नया धाम बनेगा जिसका नाम ‘भविष्यबद्री’ होगा।
  • ऐसा माना जाता है इस धाम के जो दर्शन करता है वो जन्म मरण के चक्र से छूट जाता है। जो भी यहाँ दर्शन करता है वो फिर से माता के गर्भ में नही आ पाएगा।
  • बद्रीनाथ के कपाट जब 6 महीने के लिए बंद किए जाते हैं तब वहां दीपक जगा हुआ होता है और जब 6 महीने बाद वो कपाट खोले जाते हैं तब भी वो दिया जगा हुआ ही होता है। ऐसा माना जाता है जब मंदिर के कपाट 6 महीने के लिए बंद होते हैं तब ये दीपक स्वयं ईश्वर जगाए रखते हैं।
  • इस मंदिर में विष्णु जी की पूजा  होती है। यहाँ 6 महीने पूजा पुजारी जी और 6 महीने देवता पूजा करते हैं।
  • आप जानकर हैरान होंगे कि इस मंदिर के गर्भग्रह में विष्णु जी कि एक और मूर्ति है जिसे सिर्फ केरल के पुजारी छू सकते हैं। अन्य लोगो या पुजारियों के लिए इस मूर्ति को स्पर्श करना सख्त मना है।

क्या आपने कभी बद्रीनाथ धाम के दर्शन किए हैं?

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