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जन्मकुंडली में चंद्र राहु युति का प्रभाव भाग -2

Alok Astrology

अपने पिछले लेख में हमने जाना कि जन्म कुंडली में चंद्र राहु की युति होने से जातक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है । अभी तक हम जन्म कुंडली के प्रथम भाव से लेकर चतुर्थ भाव तक की बात कर चुके हैं । 

आज हम चतुर्थ भाव के आगे के भावों में चंद्र राहु युति से होने वाले प्रभावों पर विस्तार से बात करने जा रहे हैं । अभी तक एक बात तो हम जान चुके हैं कि जन्म कुंडली के किसी भी भाव में चंद्र राहु युति हो, यह जातक की मानसिक अवस्था को कमजोर अवश्य करती है । किन्तु इसके अलावा क्या यह जातक के जीवन को अन्य किस रूप में प्रभावित करती है , आगे हम यही जानने वाले है। 

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जन्मकुंडली के पंचम भाव में चंद्र राहु युति का प्रभाव – 

जन्म कुंडली का पंचम भाव बुद्धि व शिक्षा का होता है । जब जातक युवावस्था में होता है तो पंचम भाव प्रेम का हो जाता है और जब जातक किशोरावस्था में पहुंचता है तो यही भाव उसकी संतान का भाव बन जाता है । जन्म कुंडली के पंचम भाव में चंद्र राहु युति होने से जातक की शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ता है । ऐसे लोग बहुत अधिक मेहनत व तैयारी करने के बाद भी आशानुकूल फल प्राप्त नहीं कर पाते हैं । इसके अलावा पंचम भाव में चंद्र राहु की युति होने से जातक प्रेम में असफल होता है । जातक यदि विवाहित है तो चंद्र राहु की युति से संतान प्राप्ति में समस्या उत्पन्न होगी । 

अब एक बात ध्यान देने योग्य है कि यदि जातक की जन्म कुंडली के पंचम भाव में चंद्र राहु युति है और उसी भाव में किसी शुभ ग्रह जैसे बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही है तो ऊपर बताए गए दुष्परिणामों में कमी आ सकती है तो वहीं किसी अशुभ ग्रह जैसे शनि की दृष्टि पड़ जाए तो आपके लिए और भी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं । 

जन्मकुंडली के छठे भाव में चंद्र राहु युति का प्रभाव – 

जन्म कुंडली के छठे भाव में चंद्र राहु युति होने से जातक की परेशानी थोड़ी कम हो सकती है क्यों कि छठे भाव का कारक राहु होता है । लेकिन फिर भी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है । राहु यदि बहुत बलवान अवस्था में होते हैं तो जातक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफल होगा । कुल मिलाकर चंद्र राहु की युति अन्य भावों की तुलना में पंचम भाव में जातक के लिए कम कष्टदायी साबित होगी । हालांकि मानसिक अशान्ति तो यहाँ भी बनी रहेगी । 

जन्मकुंडली के सप्तम भाव में चंद्र राहु युति का प्रभाव – 

जन्म कुंडली का सप्तम भाव आपके दाम्पत्य जीवन को दर्शाता है । सप्तम भाव में चंद्र राहु की युति होने से जातक के दाम्पत्य जीवन में मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं । अब अगर जन्म कुंडली के सप्तम भाव में चंद्र राहु की युति हो और उस पर शनि की दृष्टि पड़ जाए तो जातक का वैवाहिक जीवन बहुत दुखमय होगा या फिर ये भी संभव है कि जातक का विवाह ही ना हो । सप्तम भाव व्यापार का भी भाव होता है इसलिए यह संभव है कि साझेदारी के व्यापार में  जातक को नुकसान का सामना करना पड़े । 

जन्मकुंडली के अष्टम भाव में चंद्र राहु युति का प्रभाव –

जन्मकुंडली के अष्टम भाव में चंद्र राहु युति के होने से जातक को पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ सकता है । चंद्रमा रक्त के स्वामी होते हैं इसलिए अष्टम भाव में चंद्रमा के पीड़ित होने से जातक को रक्त संबंधित किसी विकार से पीड़ित हो सकता है । ऐसी स्थिति से बचने का एक ही उपाय है कि किसी शुभ ग्रह जैसे गुरु या शुक्र की दृष्टि अष्टम भाव पर पड़ जाए । 

निष्कर्ष – 

आज हमने जन्म कुंडली के पंचम भाव से लेकर अष्टम भाव में चंद्र राहु युति से होने वाले प्रभावों को विस्तार से समझा । नवम भाव से द्वादश भाव पर हम अपने आगे के लेख में बात करेंगे । यदि आपकी जन्म कुंडली के पंचम से लेकर अष्टम भाव के मध्य चंद्र राहु युति है तो आप आज के लेख को पढ़कर उससे होने वाले प्रभावों को समझ सकते हैं व बचाव के उपाय कर सकते हैं ।

जन्मकुंडली में चंद्र राहु युति का प्रभाव भाग -2
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