हम सभी जानते हैं कि हमारी जन्मकुंडली में ग्रहों की चाल व स्थिति का हमारे जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव होता है । ऐसे ही एक प्रभाव के बारे में बात करने जा रहे हैं जिस चंद्र राहु युति प्रभाव कहा जाता है यानि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में चंद्र राहु युति प्रभाव होता है तो वो किस तरह उस व्यक्ति के व्यक्तित्व व चरित्र को प्रभावित करता है , इस विषय पर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हम विस्तार से समझने जा रहे हैं ।
चंद्र राहु युति जातक के व्यक्तित्व को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है । जिन लोगों की जन्म कुंडली में चंद्र राहु की युति हो और उस पर किसी नीच ग्रह जैसे शनि की दृष्टि पड़ जाए तो ऐसे व्यक्ति की मानसिक अवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ता है । ऐसे लोग स्वयं को बहुत कमजोर व असफल महसूस करने लगते हैं और इसके कारण उनके मस्तिष्क में बुरे विचार आने लगते हैं । ये लोग अपने जीवन को हानि पहुंचाने का प्रयास करते हैं । व्यक्ति को चारों ओर से निराशा घेर लेती है ।
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जन्म कुंडली के प्रथम भाव में चंद्र राहु युति प्रभाव –
कुंडली के प्रथम भाव में चंद्र राहु युति का होना सबसे बड़े दुर्योग का कारण बन सकता है । ये सारा संसार अपने मन के अधीन है यानि जैसा हमारा मन हमें चलाता है हम उसी रास्ते पर चलते हैं । अब अगर हमारी कुंडली में चंद्र देव पीड़ित हो तो हमारा मन अशांत हो जाएगा और हम सही निर्णय कर पाने में सक्षम नहीं होंगे । हम सब जानते हैं कि किसी भी कार्य में सफल होने के लिए हमने मानसिक रूप से बहुत सबल होना पड़ता है और यदि हमारा मन अस्थिर हो तो हम उस कार्य को पूरी लग्न से नहीं कर पाते हैं । जिसका परिणाम यह होता है कि हम अपने कार्य में सफल नहीं हो पाते हैं। यदि आपकी कुंडली के प्रथम भाव में चंद्र राहु युति का योग बन रहा है किन्तु इसके साथ ही किसी शुभ ग्रह की दृष्टि भी प्रथम भाव पर पड़ रही है तो ऐसी स्थिति में वो शुभ ग्रह चंद्र राहु युति के बुरे प्रभाव को निश्चित रूप से कम कर देता है ।
जन्म कुंडली के दूसरे भाव में चंद्र राहु युति प्रभाव –
यदि आपकी जन्म कुंडली के दूसरे भाव में चंद्र राहु युति का योग बन रहा हो तो जातक को धन संबंधी बहुत सारी समस्याएं एक साथ आ जाती हैं । इसके अलावा आपको नेत्र दोष हो सकता है या आपके परिवार में किसी का मन अशांत हो सकता है । आपकी बुरी आदतों में निरंतर वृद्धि होगी । आपसी रिश्ते खराब होने की संभावना है ।
जन्म कुंडली के तृतीय भाव में चंद्र राहु युति का प्रभाव –
जन्म कुंडली के तीसरे भाव में भी चंद्र राहु शुभ फल प्रदान करने वाली नहीं होती है । आप जितना अधिक परिश्रम करेंगे उसके अनुसार आपको फल नहीं मिलेगा । हाँ ये अवश्य होगा कि तीसरे भाव के कारक राहु होने से आपको थोड़ी बहुत राहत मिल सकती है ।
जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में चंद्र राहु युति का प्रभाव –
जन्म कुंडली के चतुर्थ के भाव में चंद्र देव तो शुभ फल देने वाले होते हैं किन्तु राहु के इसी भाव में होने से जातक के घर में कलह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है । इसके अलावा जातक के अपनी माँ से संबंध खराब हो सकते हैं । चतुर्थ भाव में चंद्र राहु युति होने से जातक को अपने विश्वासपात्र लोगों से भी धोखा मिल सकता है । ऐसे लोगों को गृह सुख नहीं मिलता है ।
निष्कर्ष –
आज हमने जन्म कुंडली के प्रथम भाव से लेकर चतुर्थ भाव में चंद्र राहु युति होने से जातक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है इसके बारे में विस्तार से बात की । चतुर्थ भाव से आगे के भावों में चंद्र राहु युति का प्रभाव हम अपने अगले लेख में जानेंगे ।
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