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जन्मकुंडली में सूर्य राहु युति का प्रभाव भाग -2

जन्मकुंडली में सूर्य राहु युति का प्रभाव भाग -2

जन्म कुंडली में सूर्य राहु युति प्रभाव के पहले भाग में हमने कुंडली के प्रथम भाव से लेकर चतुर्थ भाव तक पड़ने वाले प्रभावों पर बात की एक सामान्य प्रभाव जो सभी भावों में सभी जातकों पर देखा गया है वो यह है कि जन्म कुंडली में सूर्य राहु की युति होने से जातक के आत्मविश्वास में भारी कमी जाती है आज हम चतुर्थ भाव से आगे यानि पंचम भाव से लेकर अष्टम भाव तक सूर्य राहु युति के प्रभावों को विस्तार से समझने वाले हैं 

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जन्मकुंडली के पंचम भाव में सूर्य राहु युति का प्रभाव -

जन्म कुंडली के पंचम भाव को ज्ञान का भाव भी कहा जाता है  

सूर्य इस भाव में ज्ञान की वृद्धि करने वाले होते हैं। पढ़ने लिखने वाले जातकों को थोड़ी समस्या आती हैं राहु की युति होने से जातक को प्रेम में धोखा मिल सकता है संतान को लेकर कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । इसके अलावा जातक के जीवन में स्वास्थ्य से संबंधित कुछ परेशानियाँ सकती हैं

 उदर विकार होने का भी योग बनता है घर में कलह का वातावरण उत्पन्न हो सकता है पंचम भाव में सूर्य राहु युति हो लेकिन गुरु की दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसा जातक शासन प्रशासन में सफलता प्राप्त करेगा

जन्मकुंडली के छठवें भाव में सूर्य राहु युति का प्रभाव -

जन्म कुंडली के छठवें भाव में सूर्य राहु की युति जातक के लिए बहुत ही श्रेष्ठ फल देने वाली साबित होती है इस भाव का सबसे शुभ फल यह होता है कि जातक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफल होता है यदि जातक की जन्म कुंडली में सूर्य नीच के हों तो स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं सकती हैं रक्तचाप बढ़ने जोड़ों में दर्द जैसी परेशानी देखने को मिल सकती है दिखावे से बचने का प्रयास करें ये आपके लिए नुकसान देह साबित हो सकता है

जन्मकुंडली के सप्तम भाव में सूर्य राहु युति का प्रभाव -

जन्म कुंडली में सप्तम भाव हमारे जीवन साथी दाम्पत्य जीवन का भाव होता है सप्तम भाव में सूर्य को अशुभ माना जाता है , ऊपर से राहु का भी साथ होने से जातक के दाम्पत्य जीवन में तो परेशानी आएगी ही , साथ ही अन्य कई प्रकार की परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं जीवन साथी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है व्यापार में अगर कोई साझेदार है तो उससे धोखा मिल सकता है कुल मिलाकर जन्म कुंडली के सप्तम भाव में सूर्य राहु युति के प्रभाव को किसी भी दृष्टि से शुभ नहीं कहा जा सकता है 

जन्मकुंडली के अष्टम भाव में सूर्य राहु युति का प्रभाव -

जन्म कुंडली का अष्टम भाव आयु का भाव होता है किन्तु आयु का भाव होने के कारण मृत्यु का भाव भी यही होता है जन्म कुंडली के इस भाव में सूर्य राहु युति का प्रभाव मिला जुला होता है यानि जातक के जीवन में कुछ अच्छा तो कुछ बुरा होता रहता है स्वास्थ्य को लेकर कुछ समस्याएं जरूर देखने को मिलती हैं किन्तु धन के मामले में यह योग बहुत शुभ सिद्ध हो सकता है जन्म कुंडली के अष्टम भाव में सूर्य राहु की युति होने से जातक को आकस्मिक धन लाभ होने की संभावना बनी रहती है

निष्कर्ष -

इस प्रकार से हमने जन्म कुंडली के पंचम भाव से लेकर अष्टम भाव तक सूर्य राहु युति के प्रभावों का विश्लेषण किया नवम भाव से लेकर द्वादश भाव में सूर्य राहु युति के प्रभावों को हम अगले अंतिम भाग में जानेंगे 

जन्मकुंडली में सूर्य राहु युति का प्रभाव भाग -2
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