पित्र दोष को कैसे दूर करें ?
पित्र दोष ऐसा दोष है जिसकी वजह से हमें अपने जीवन कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है । हम सबने पित्र दोष का नाम तो सुना ही होगा किन्तु आज हम विस्तार से समझने वाले हैं कि पित्र दोष क्या होता है ? इस दोष के कारण हमें किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और पित्र दोष से मुक्त होने के क्या क्या उपाय होते हैं ?
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पित्र दोष क्या होता है ?
जैसा कि नाम से ही समझ आ रहा है पित्र दोष का संबंध पिता से है । लेकिन इसका संबंध सिर्फ हमारे पिता से नहीं है बल्कि हमारे पिता के पिता यानि दादा या दादा के पिता यानि परदादा से भी हो सकता है । इस दोष का प्रमुख कारण वे मनोकामनाएं हैं जो इस जीवन में पूरी ना हो सकीं अर्थात जब आपके किसी सगे संबंधी की आकस्मिक मृत्यु हो जाए जैसे किसी सड़क दुर्घटना में मृत्यु , पानी में डूबने से मृत्यु , बिजली के झटके से मृत्यु आदि ,तो वो व्यक्ति अपने जीवन की इच्छाएं अपने साथ लेकर ही चला जाता है । ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति के कर्मों के प्रभाव हमारे ऊपर पड़ने लगता है । इस दोष का संबंध सूर्य देव और चंद्र देव से होता है जिसमे पिता का सम्बद्ध सूर्य देव से व माता का संबंध सूर्य देव से होता है ।
पित्र दोष का प्रभाव –
पित्र दोष के प्रभाव को हम देख कर पता नहीं लगा सकते हैं किन्तु इसका प्रभाव हमारे ऊपर हर पीढ़ी के साथ बढ़ता ही चला जाता है । पित्र दोष सबसे पहले हमारे स्वास्थ्य पर असर डालता है । जिसमें आपका या आपके परिवार के किसी सदस्य का बार-बार बीमार पड़ना या किसी बड़ी बीमारी से ग्रसित होना जैसे लक्षण शामिल हैं । कभी कभी ये बहुत गंभीर रोग भी प्रदान कर देता है । पित्र दोष आपकी संतान के ऊपर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। संतान के स्वास्थ्य से लेकर उसकी पढ़ाई लिखाई में इस दोष का असर देखा जा सकता है ।
स्वास्थ्य के अलावा ये दोष आपके कार्यक्षेत्र में भी बाधा डालता है । जिसमें यदि आप व्यापारी हैं तो आपको व्यापार में बहुत नुकसान हो सकता है । यदि आप नौकरी करते हैं तो आपको पदोन्नति में रुकावट आ सकती है । इसके अलावा आपको धन अर्जित व संचित करने में भी समस्या आ सकती है । आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी नुकसान हो सकता है । आपके दाम्पत्य जीवन में कलह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है ।
पित्र दोष कैसे दूर करें ?
यदि आपके जीवन में पित्र दोष है तो ऐसे समय में आप अपने पूर्वजों की शांति व मुक्ति के लिए उनका श्राद्ध व पिंडदान कर सकते हैं । ऐसा करने से आपको पित्र दोष से मुक्ति मिलती है । इसके अलावा आप दुर्गा अनुष्ठान भी करवा सकते हो ।इसके लिए आपको 1 वर्ष तक हर महीने पूजन करना चाहिए । ऐसी पूजा के लिए गंगा नदी का किनारा सबसे अधिक शुभ माना जाता है किन्तु आपके आसपास गंगा नदी नहीं है तो जो भी नदी आपके घर के सबसे पास है उसके किनारे पर भी आप दुर्गा अनुष्ठान का आयोजन कर सकते हो । इससे आपके पित्र दोष दूर हो जाएंगे ।
निष्कर्ष –
पित्र दोष हमारे जीवन की तरक्की में बाधा बन सकता है इसलिए इस दोष से मुक्ति के लिए दुर्गा जी का अनुष्ठान अवश्य कराएं । इसके अलावा पक्षियों को दाना डालें व जरूरतमंदों को दान करें, इससे आपको पुण्य फल प्राप्त होगा और आपके पूर्वजों को भी मुक्ति मिल सकेगी ।