वास्तु सम्मत उद्योग कैसे स्थापित करें? भूमि चयन से लेकर मशीनों की स्थापना तक, जानें सब कुछ !

वास्तु सम्मत उद्योग कैसे स्थापित करें?

आज के समय दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है और आगे बढ़ रही है। दुनिया को बदलने व इसके विकास में उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान है।वर्तमान में युवा नए नए उद्योग स्थापित कर रहे हैं। सरकार की ओर से भी लगातार इसके लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है । उद्योग स्थापित करने के लिए बड़े निवेश की आवश्यकता होती है। ऐसे में अगर आपको नुकसान उठाना पड़े तो आपके लिए आर्थिक परेशानी तो होगी ही , साथ ही मानसिक अशान्ति का भी सामना करना पड़ सकता है । आर्थिक व मानसिक दोनों तरह की समस्याओं से बचने के लिए उद्योग स्थापित करने से पहले वास्तु के कुछ नियमों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए । आज के लेख में हम विस्तार से समझने जा रहे हैं कि उद्योग स्थापित करने के लिए किस तरह भूमि का चुनाव करना चाहिए ? प्रवेश द्वार कैसा होना चाहिए ?छत कैसी होनी चाहिए ?इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न कि मशीनों की स्थापना किस दिशा में करनी चाहिए ? इन प्रश्नों के साथ कई अन्य महत्वपूर्ण बातों को भी विस्तार से समझेंगे।

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उद्योग स्थापित करने के लिए भूमि चयन कैसे करें ?

उद्योग स्थापित करने का पहला चरण भूमि चयन होता है । कहा भी जाता है कि अगर किसी कार्य की शुरुआत अच्छी हो जाए तो अंत भी अच्छा ही होता है । भूमि का चयन करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भूमि का आकार वर्गाकार या फिर आयताकार ही होना चाहिए । वास्तु में इस आकार को शुभ माना गया है । भू खंड का उत्तर-पूर्व भाग ऊबड़ खाबड़ या कटा हुआ नहीं होना चाहिए । अगर ऐसा हुआ तो उद्योग संचालित करने में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । भूमि के उत्तर-पश्चिम भाग को खुला रखें ।

उद्योग स्थल के धरातल का आकार -

धरातल के निर्माण कराते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि दक्षिण -पश्चिम दिशा की ओर धरातल बाकी दिशाओं की अपेक्षा ऊँचा होना चाहिए। अन्य दिशाओं  का धरातल इससे नीचे होना चाहिए ।

छत कैसी बनाएं ?

उद्योग स्थल की छत का झुकाव उत्तर दिशा व पूर्व दिशा की ओर अधिक होना शुभ माना गया है । उत्तर व पूर्व दिशा में अधिक झुकाव होने का सीधा सा अर्थ है कि दक्षिण दिशा व पश्चिम दिशा की ओर छत का झुकाव कम होना चाहिए ।

प्रवेश द्वार के लिए शुभ दिशा -

उद्योग स्थल के प्रवेश द्वार के लिए वास्तु में उत्तर-पूर्व दिशा को सर्वाधिक शुभ माना गया है । मुख्य द्वार दक्षिण -पश्चिम दिशा में भूल से भी नहीं रखना चाहिए।

निकास द्वार के लिए शुभ दिशा -

उद्योग स्थल के निकास द्वार के लिए उत्तर दिशा या पश्चिम दिशा सबसे शुभ मानी गई है । निकास द्वार बनवाते समय इन दोनों दिशाओं का ध्यान रखें ।

कार्यालय के लिए शुभ दिशा -

उद्योग या कारखाने के अंदर कार्यालय अवश्य होता है । वास्तु शास्त्र में कार्यालय के लिए उत्तर दिशा व पूर्व दिशा को सर्वाधिक शुभ बताया गया है । इसके अलावा कार्यालय के अंदर बैठे लोगों का मुख भी उत्तर दिशा या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए ।

मशीनों की स्थापना करने के लिए शुभ दिशा -

किसी भी उद्योग के लिए मशीनें सबसे महत्वपूर्ण होती हैं । मशीनों की स्थापना कारखाने के दक्षिणी भाग में करने से उत्पादन में बाधा नहीं आती है । दक्षिण -पश्चिम दिशा में भी मशीनों की स्थापना की जा सकती है ।

कच्चे माल के भंडारण के लिए शुभ दिशा -

कच्चे माल के भंडारण के लिए कारखानों में बड़े बड़े गोदाम बनाए जाते हैं । वास्तु शास्त्र में भंडारण के लिए सबसे शुभ दिशा उत्तर दिशा मानी गई है । 

निष्कर्ष -

इस प्रकार से हमने उद्योग स्थापित करने के प्रारम्भिक चरण यानि भूमि चयन से लेकर अंतिम चरण यानि मशीनों की स्थापना तक के वास्तु शास्त्र के नियमों का विस्तार से विश्लेषण किया ।

वास्तु सम्मत उद्योग कैसे स्थापित करें? भूमि चयन से लेकर मशीनों की स्थापना तक, जानें सब कुछ !

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