14 दिसम्बर 2021 से शुरू है खरमास
- 14 दिसम्बर 2021 से खरमास आरंभ है।
- हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
- खरमास को अशुभ माना जाता है।
- जब सूर्य गोचरवश धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो इसे क्रमश धनु संक्रांति व मीन संक्रांति कहा जाता है।
- सूर्य किसी भी राशि में लगभग एक माह तक रहते हैं। सूर्य के धनु राशि व मीन राशि में स्थित होने की अवधि को ही खरमास कहा जाता है।
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खरमास शुरू और समाप्त होने की तिथि :-
- 14 दिसंबर 2021 मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से शुरू हो रहा खरमास।
- मकर संक्रांति 14 जनवरी 2022 पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन खरमास का समाप्त हो जाएगा।
- मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2022 को मनाया जाएगा।
- मकर संक्रांति का विशेष धार्मिक महत्व होता है।
- इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
- सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही मांगलिक और शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे।
खरमास को अशुभ मानने के कारण :-
एक बार सूर्य देवता अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्राह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे। इस दौरान उन्हें कहीं पर भी रूकने की इजाजत नहीं थी। यदि इस दौरान वो रूक जाते तो जनजीवन भी ठहर जाता। परिक्रमा शुरू की गई, लेकिन लगातार चलते रहने के कारण उनके रथ में जुते घोड़े थक जाते हैं, और घोड़ों को प्यास लग जाती है।
घोड़ों की उस दयनीय दशा को देखकर सूर्यदेव को उनकी चिंता हो गई। और वो घोड़ों को लेकर एक तालाब के किनारे चले गए, ताकि घोड़ों को पानी पिला सकें।
लेकिन उन्हें तभी यह आभास हुआ कि अगर रथ रूका तो अनर्थ हो जाएगा। क्योंकि रथ के रूकते ही पूरा जनजीवन भी ठहर जाता।
घोड़ों का सौभाग्य ही था कि उस तालाब के किनारे दो “खर* मौजूद थे। और खर गधे को कहा जाता है।
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भगवान सूर्यदेव की नजर उन गधों पर पड़ी और उन्होंने अपने घोड़ों को वहीं तालाब के किनारे पानी पीने और विश्राम करने के लिए छोड़ दिया, और घोड़ों की जगह पर खर यानि गधों को अपने रथ में जोड़ लिया।
लेकिन खरों के चलने की गति धीमी होने के कारण रथ की गति भी धीमी हो गई। फिर भी जैसे तैसे एक मास का चक्र पूरा हो गया।
उधर तब तक घोड़ों को काफी आराम मिल चुका था। इस तरह यह क्रम चलता रहता है।
हर सौर वर्ष में एक सौर मास खर मास कहलाता है। जिसे मलमास के नाम से भी जाना जाता है।
खरमास के उपाय :-
- खरमास के महीने में पूजा-पाठ धर्म-कर्म, मंत्र जाप, भागवत गीता, श्रीराम की कथा, पूजा, कथावाचन, और विष्णु भगवान की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।
- दान, पुण्य, जप, और भगवान का ध्यान लगाने से कष्ट दूर हो जाते हैं।.
- इस मास में भगवान शिव की आराधना करने से कष्टों का निवारण होता है।
- शिवजी के अलावा खरमास में भगवान विष्णु की पूजा भी फलदायी मानी जाती है।
- खरमास के महीने में सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर तांबे के लोटे में जल, रोली या लाल चंदन, शहद लाल पुष्प डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
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एस्ट्रोलजर – ममता अरोरा
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