रामायण हिन्दू धर्म ग्रंथों में एक प्रमुख ग्रन्थ है जिसमें श्री मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन का सुंदर और मनोरम चित्रण किया गया है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित इस महाग्रंथ में रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई और रामचरितमानस चौपाई अर्थ सहित लिखी गई हैं। शास्त्रों के अनुसार, यदि व्यक्ति रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई अर्थ सहित और दोहा अर्थ सहित को समझ जाए, तो उसका जीवन सफल हो सकता है। आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए रामायण चौपाई अर्थ सहित हिंदी में लेकर आए हैं ताकि आप भी इस रामचरित मानस चौपाई अर्थ सहित और रामायण चौपाई अर्थ को समझ सकें।
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रामायण चौपाइयों का अर्थ और जीवन में महत्व:
रामायण चौपाई-
जा पर कृपा राम की होई।
ता पर कृपा करहिं सब कोई॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया।
तिनके ह्रदय बसहु रघुराया॥
अर्थ –
इस चौपाई का अर्थ है कि यदि व्यक्ति पर श्री राम की कृपा दृष्टि पड़ जाए तो उसे दुनियां का कोई भी दुःख,दर्द उसे छू भी नही सकता है। जिन पर श्री राम की कृपा होगी उस को दुनियां के सभी सुख प्राप्त होगे। जिनके अन्दर कपट, पाखण्ड और लालच न होगा उस व्यक्ति के दिल में स्वयं श्रीराम का वास होगा। श्री राम उन पर कृपा करते हैं जो निश्चल होते है।
रामायण चौपाई-
कहेहु तात अस मोर प्रनामा।
सब प्रकार प्रभु पूरनकामा॥
तासु दूत कि बंध तरु आवा।
प्रभु कारज लगि कपिहिं बँधावा॥
अर्थ –
चौपाई का अर्थ है – ये हे तात ! मेरा आपको प्रणाम है और आपसे निवेदन है कि, यदि आप सभी रूप में पूर्ण हैं, आपको किसी भी चीज कीकामना नही है और आप हमेशा दीन और दुखी पर दया करते हैं तो हे नाथ, आप मेरे सभी कष्टों और
दुखो को दूर कर दीजिए। प्रभु बहुत दयालु हैं और यदि दिल से उनसे प्रार्थना की जाए तो वो अपने भक्तो के दुखो को हर लेते हैं।
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रामायण चौपाई-
जासु नाम जपि सुनहु भवानी।
भव बंधन काटहिं नर ग्यानी॥
तासु दूत कि बंध तरु आवा।
प्रभु कारज लगि कपिहिं बँधावा॥
अर्थ –
इस चौपाई में शिवजी पार्वती जी से कह रहे हैं कि हे भवानी, ज्ञानी व्यक्ति जिनका मात्र नाम जपकर जन्म मरण के चक्र से छूट जाता है, क्या उनके द्वारा भेजे गए दूत कोई भी बांध सकता है? नही ना, लेकिन फिर भी हनुमान जी ने अपने प्रभु के काम को पूरा करने के लिए खुद को शत्रु के हाथों बंधवा लिया। इस चौपाई में हनुमान जी की अपने प्रभु के प्रति असीम भक्ति प्रकट होती है। हनुमान जी इतने शक्तिशाली हैं कि उन्हें कोई उनकी मर्जी के बिना छू भी नही सकता लेकिन फिर भी प्रभु राम के द्वारा सीता की खोज खबर लाने के काम को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने आपको लंका के सिपाहों को बाँधने दिया।
रामायण चौपाई –
अनुचित उचित काज कछु होई,
समुझि करिय भल कह सब कोई।
सहसा करि पाछे पछिताहीं,
कहहिं बेद बुध ते बुध नाहीं।।
अर्थ –
इस चौपाई का अर्थ है कि व्यक्ति को कोई भी काम करने से पहले ये सोचना चाहिए कि उससे मिलने वाला परिणाम उचित होगा या अनुचित। ऐसा करने से सभी का भला होगा और जो बिना सोचे समझे काम करते हैं और बाद में उस बात के लिए पछताते रहते हैं, ऐसे लोगो को विद्वान् और वेद बुद्धिमान नही मानते।
रामायण चौपाई
गुर बिनु भव निध तरइ न कोई।
जौं बिरंचि संकर सम होई॥
अर्थ –
गुरु के बिना कोई भी आगे नही बढ़ सकता है चाहे वो कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो। उनका हमारे जीवन को बनाने और उसे आगे बढ़ाने में बहुत महत्व होता है। किसी को भी गुरु के बिना ज्ञान नही मिल सकता है और जिसे ज्ञान प्राप्त नही है वो ईश्वर को प्राप्त नही कर सकता है।
रामायण चौपाई –
एक पिता के बिपुल कुमारा,
होहिं पृथक गुन शीला अचारा।
कोउ पंडित कोउ तापस ज्ञाता,
कोउ धनवंत वीर कोउ दाता॥
अर्थ –
श्री राम जी कह रहे हैं कि एक पिता के कई पुत्र होते हैं और सभी का आचरण, गुण अलग अलग होता है। सभी पुत्रो में से कोई पंडित होता है, कोई तपस्वी होता है , कोई धनवान तो कोई ज्ञानी होता है और कोई वीर होता है तो कोई दानी होता है। अर्थात एक ही परिवार के बच्चो का आचरण और गुण अलग अलग होता है।
रामायण चौपाई –
अखिल विश्व यह मम उपजाया,
सब पर मोहिं बराबर दाया।
तिन्ह महं जो परिहरि मद माया,
भजहिं मोहिं मन वचन अरु काया॥
अर्थ –
इस चौपाई का अर्थ है श्री राम ने इस समस्त संसार को बनाया है और सभी पर उनकी कृपा रहती है। जो मनुष्य माया और अभिमान को त्याग कर वचन, मन और शरीर से उनका पूजन करते हैं वो भक्त और सेवक उन्हें उनके प्राणों से भी प्यारे होते हैं।
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रामायण चौपाई –
धन्य देश सो जहं सुरसरी।
धन्य नारी पतिव्रत अनुसारी॥
धन्य सो भूपु नीति जो करई।
धन्य सो द्विज निज धर्म न टरई॥
अर्थ –
इस चौपाई के अनुसार वो देश जहाँ पर गंगा माँ बहती हैं वो धन्य है, वो स्त्री जो अपने पत्नी धर्म का दिल से पालन कर रही है वो स्त्री धन्य है, वो राज्य जो सभी के साथ न्याय करता है वो धन्य है और वो ब्राह्मण जो अपने धर्म का पालन करता है वो धन्य है। आप किस चौपाई से ज्यादा प्रभावित हैं, हमे कमेंट करके जरुर बताएं।
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