पुराण भारत के सनातन धर्म का के प्रमुख ग्रन्थ है जिसमें भारत के देवी देवताओं, ऋषि मुनियों और राजाओं के वृत्तान्त आदि का वर्णन हैं। भारत के धार्मिक ग्रंथो में पुराण का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। कुल मिलकर 18 पुराण हैं जिसमें हिन्दू धर्म के देवी देवताओं के विषय में, धर्म और अधर्म के विषय में, पाप और पुण्य की परिभाषा और कर्म और अकर्म से जुडी कई अद्भुत और रोचक गाथाओ का विवरण है। कहते हैं, इसमें सृष्टि की शुरुवात से लेकर उसके अंत तक का भी उल्लेख है।
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पुराण शब्द का अर्थ है बहुत पुराना और इन पुराणों की रचना क्षेत्रीय भाषाओ और संस्कृत में हुई है। आज की पोस्ट में हम आपको हिन्दू धर्म के 18 पुरानो के बारे में बताएंगे इसलिए पोस्ट के अंत तक बने रहे।
पुराण कितने हैं ?
हिन्दू धर्म में कुल 18 पुराण हैं।
1.ब्रह्मा पुराण
ब्रह्म पुराण सभी पुरानो में से सबसे प्राचीन हैं। इसमें कुल 246 विशाल अध्याय हैं जिनमें कुल 14000 श्लोक समाहित हैं। इस पुराण को आदि पुराण के नाम से भी जाना जाता है। इस पुराण में श्रृष्टि कैसे बनी, मनु कौन था उसके वंशज कौन थे, देवताओ की उत्पत्ति कैसे हुई, प्राणी की उत्पत्ति कैसे हुई, कृष्णावतार और रामायण आदि का वर्णन है। इसमें भारत के प्रमुख तीर्थो के बारे में भी बताया गया है।
2.पद्म पुराण
इस पुराण में 4 खंड हैं, स्वर्गखंड ,श्रुष्टिखंड, भूमिखंड ,उत्तरखंड और पातालखंड जिसमें 55000 श्लोक समाहित हैं। इस पुराण में श्री हरी विष्णु जी के बारे में बताया गया है।
3.विष्णु पुराण
इस पुराण में विष्णु जी के बारे में बड़े ही सुन्दर और भक्तिमय वर्णन है। इसमें बालक धुव और कृष्णा अवतार के बारे में भी लिखित है। इसमें कुछ 6 अंश हैं जिसमें 23000 श्लोक समाहित हैं।
4.वायु पुराण (शिव पुराण)
इस पुराण में कुल 24000 श्लोक हैं और 7 संहिताएं हैं। इसे शिव पुराण के नाम से भी जाना जाता है। इसमे भोलेनाथ की गाथाओ का उल्लेख है और इसमें ये भी बताया गया है कि किस तरह काम पर विजय पाई जा सकती है।
5.भागवत पुराण
भागवत पुराण घार्मिक ग्रंथो में से एक है जिसमें कृष्ण द्वारा अर्जुन को जीवन और कर्म के विषय में दी गई सीख बताई गयी है। कहते हैं इस ग्रन्थ में व्यक्ति के हर सवाल और हर परेशानी का हल है। इसमें कुल 12 स्कन्द और 18000 श्लोक हैं। इसमें कृष्ण भक्ति की महत्ता के बारे में बताया गया है।
6.नारद पुराण
इस ग्रन्थ को महापुराण के नाम से भी जाना जाता है। इके 2 भाग हैं और कुछ 15000 श्लोक हैं। विद्वानों अनुसार इसमें सभी 18 पुराणों का सजीव चित्रण और सार है। इसमें व्रतो और उत्सवो के बारे में भी वर्णित हैं।
7.मार्कण्डेय पुराण
मार्कण्डेय पुराण सबसे छोटा पुराण हैं और इसमें 137 अध्याय और कुल 9000 श्लोक हैं।इसमें इंद्र देव, अग्नि देव, सूर्य देव आदि से जुडी वैदिक गाथाओ का वर्णन हैं। इसमें देवी दुर्गा और श्री कृष्ण गाथा भी वर्णित हैं।
इस ग्रन्थ में भारतीय संस्कृति को बेहद शानदार तरीके से उल्लेखित किया गया है। इसके 15000 श्लोको और 387 अध्यायों में भगवान विष्णु के सभी अवतारों का मनमोहक वर्णन है। इसमें उनके कूर्म अवतार , मत्स्य अवतार , मोहिनी अवतार आदि के बारे वर्णित हैं। इसमें महाभारत और रामायण का भी उल्लेख है।
9.भविष्य पुराण
इस अद्भुत पुराण में सालो पहले ही भविष्य में होने वाली सभी घटनाओं के बारे में लिखा गया है। इसमें भारत के महान शूरवीर शिवाजी के बारे में भी बताया गया था और साथ ही मुगलवंश, मौर्यवंश, मोहम्मद आदि के बारे पहले से ही भविष्यवाणी कर दी गयी थी। इसमें 2800 श्लोक और 121 अध्याय हैं।
10.ब्रह्मवैवर्त पुराण
इस पुराण को वैष्णव पुराण के नाम से भी जाना जाता है। इसमें लक्ष्मी जी, गणेश जी,कृष्ण जी, सावित्री के बारे में वर्णन है। इस पुराण में आयुर्वेद का भी जिक्र है। इसमें कुल 163 अध्याय और 18000 श्लोक हैं।
11.लिंग पुराण
इसमें कुल 163 अध्याय और 11000 श्लोक हैं जिनमें शिव के सभी अवतारों के बारे बताया गया है। इस पुराण में अघोरी विद्या के विषय में भी लिखा हुआ है।
12.वराह पुराण
इस ग्रन्थ में 217 स्कन्द और 10000 श्लोक जिसमे वराह अवतार के बारे में वर्णित हैं। ये भगवान् विष्णु जी के अनेको अवतारों में से एक है।
13.स्कन्द पुराण
सभी पुराणों में से ये पुराण सबसे बढ़ा है। इसमें कुल 6 खंड और 51000 श्लोक हैं। इस पुराण में शिवजी के दूसरे पुत्र कार्तिकेय के बारे में भी वर्णित हैं। इसमें नदियों, नक्षत्रो और ज्योतिर्लिंगों के विषय में भी लिखा गया है।
14.वामन पुराण
इस पुराण में वामन अवतार, जो विष्णु जी का एक अवतार हैं, की कथा वर्णित हैं। इसमें 15 अध्याय,10000 श्लोक और 2 खंड हैं।
15.कूर्म पुराण
इस धार्मिक ग्रन्थ में चार वेदों का सार है। इसमें कुर्म कथा का भी वर्णन है जो विष्णु जी का एक अवतार है। इसमें कुल 4 खंड और 18000 श्लोक हैं।
16.मत्स्य पुराण
मत्स्य अवतार,जो विष्णु जी का एक अवतार है, के बारे में इस पुराण में विस्तार से वर्णन किया गया है। इसमें श्रृष्टि की शुरुवात के साथ साथ चंद्रवंशी राजाओ के विषय में भी वर्णित हैं। इसमें कुल 14000 खूबसूरत श्लोक और 290 अध्याय हैं।
17.गरुड़ पुराण
इस पुराण में मृत्यु के बाद होने वाली सभी घटनाएं वर्णित हैं। इसमें यमलोक, प्रेत लोक और नरकलोक के बारे बताया गया है। ये ग्रन्थ पढने के बाद कई लोगो के मन में बहुत डर बैठ जाता है इसलिए लोग इसे पढने में झिझकते हैं। इसमें कुल 279 अध्याय और 18000 श्लोक हैं।
18.ब्रह्माण्ड पुराण
ब्रह्माण्ड के सभी ग्रहों के विषय में विस्तार से इस पुराण में बताया गया है। इसमें परशुराम जी की कथा भी है साथ ही सूर्यवंशी राजो और चंद्रवंशी राजाओं के बारे में लिखा गया है। इसके कुल तीन भाग हैं जिसमें 1200 श्लोक वर्णित हैं।
ऐसा माना जाता है हर व्यक्ति को अपने जीवन काल में कम से कम एक बार किसी न किसी पुराण को जरुर पढना चाहिए क्योकि इससे उनको सीख भी मिलती हैं और पुण्य भी प्राप्त होता है।