हिन्दू धर्म और आयुर्वेद में जीवन के हर पहलु के बारे में बताया गया है। इसमें खाना खाने से जुड़े नियम भी बताए गए हैं। इनमे बताया गया है कि किस तरह भोजन करना चाहिए जिससे व्यक्ति की सेहत अच्छी बनी रहे। पहले हिन्दू धर्म और आयुर्वेद के नियमो को मानते हुई भोजन किया जाता था लेकिन अब उन बातो को दकियानूसी मानकर नकार दिया जाता है। अब लोग वेस्टर्न कल्चर के हिसाब से खान पान करते हैं। आप स्वयं देख सकते हैं कि पहले के जमाने के लोग इस ज़माने के लोग से ज्यादा सेहतमंद होते थे और अभी के मुकाबले उनकी उम्र भी लम्बी होती थी। आजकल के लोग अपने गलत खान पान और गलत तरीको की वजह से कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। यदि आप भी हिन्दू धर्म और आयुर्वेद में भोजन से सम्बंधित बातो पर ध्यान दें तो आपकी सेहत भी सुधर सकती है।
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भोजन करने का सही तरीका
- आयुर्वेद और हिन्दू धर्म अनुसार व्यक्ति को अपने भोजन करने का समय निश्चित रखना चाहिए। सुबह हो या शाम खाने का समय एक ही होना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति का पाचन तंत्र तंदरुस्त रहता है। आयुर्वेद अनुसार सूर्योदय होने से लेकर 2 घंटे तक और शाम को सूर्यास्त होने से 2.30 घंटा पहले तक व्यक्ति का पाचन तंत्र बहुत अच्छा काम करता है।इस वक्त भोजन खाया जाए तो खाना आसानी से पच जाता है और खाने से व्यक्ति के शरीर को पोषक तत्व भी मिलते हैं। शास्त्रों अनुसार जो व्यक्ति दिन में एक बार खाता है वो योगी कहलाता है और जो दिन में दो बार खाता है वो भोगी कहलाता है। यदि दो वक्त का भोजन करना चाहते हैं तो निश्चित समय पर ही करे।
- आयुर्वेद अनुसार दिन में बहुत पानी पीना चाहिए, कम से 8 गिलास पीना जरुरी है। यदि ताम्बे में बर्तन में पानी रखा जाए और वो पिया जाए तो वो बहुत उत्तम होता है। ताम्बे के बर्तन में पानी रखने से उसके तत्व पानी में आ जाते हैं जिससे व्यक्ति की सेहत अच्छी बनी रहती है।
- आयुर्वेद अनुसार व्यक्ति को भोजन चांदी की थाली या पीतल कि थाली में खाना चाहिए। खान्करे या केले के पत्तो का भी इस्तेमाल भोजन करने के लिए किया जा सकता है। आयुर्वेद अनुसार कांसे और जर्मन बर्तनों में खाना नही खाना चाहिए।
- आयुर्वेद अनुसार व्यक्ति को हमेशा सात्विक, शुद्ध, उत्तम और सम्पूर्ण आहार खाना चाहिए। खाने में हरी पत्तेदार सब्जियां, सलाद, दही, फल, लहसुन और ड्राई फ्रूट्स का इस्तेमाल करना चाहिए। मैदे से बनी चीजे और कॉफ़ी, चाय, कोल्ड ड्रिंक्स और इसी तरह के ड्रिंक्स लेने से बचना चाहिए। जितना हो सके, गरिष्ट भोजन कम खाए और तेज मसालेदार खाना कम कर दे। जायदा मीठा खाना या ज्यादा तीखा खाना सेहत के लिए बिलकुल सही नही होता है। कभी भी रखा हुआ भोजन नही करना चाहिए। फल खाना है तो पूरा खा ले, कभी भी आधा बचा हुआ फल न खाए, ये सेहत के लिए अच्छा नही होता है।
- आयुर्वेद अनुसार गर्मी के मौसम में फ्रिज की बजाए मिटटी के घड़े से पानी पीना चाहिए। आप चांदी से बने घड़े का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सर्दी के मौसम में पीतल या सोने के घड़े का पानी उत्तम माना जाता है। बरसात के मौसम में ताम्बे के बर्तन में रखा पानी सेहत के लिए अच्छा होता है। पानी को हमेशा ईशान कोण में रखना चाहिए और उस स्थान को साफ़ सुथरा रखना चाहिए।
- जब भी खाना खाए आलती पालती मारकर खाना चाहिए। भोजन को किसी पाटिया पर रखे और खुद आसार पर बैठकर खाए। खड़े होकर या जूते पहनकर या सिर को ढककर भोजन कभी भी न करे।
- आयुर्वेद अनुसार खाना खाने से कम से कम 1 घंटा पहले पानी पी ले और खाना खाने के बाद एक घंटे तक पानी नही पीना चाहिए। आयुर्वेद अनुसार भोजन करने वक्त भी पानी नही पीना चाहिए।
- हिन्दू धर्म और आयुर्वेद अनुसार हमेशा हाथ पैरो और मुंह को धोकर भोजन करना चाहिए।
- ऐसा भी कहा जाता है कि स्त्री को भोजन बनाने से पहले स्नान करना चाहिए और शुद्ध मन से मन्त्र जाप करते हुए भोजन बनाना चाहिए।
- हिन्दू धर्म अनुसार बेड पर बैठकर खाना नही खाना चाहिए। कभी भी टूटे फूटे बर्तनों में भी खाना नही खाना चाहिए।
- कुछ लोग हाथो में प्लेट लेकर खाते हैं, ये सही नही होता है।
- विशेषज्ञों अनुसार कभी भी मल मूत्र के वेग आने पर भोजन न करे। साथ ही इस बात पर भी ध्यान दें कलह और शोर के माहौल में भोजन न करे। ऐसा भी माना जाता है कि वटवृक्ष और पीपल के नीचे बैठकर भी भोजन करना सही नही है।
- कुछ लोगो की आदत होती है खाने में गलतियाँ निकालना, ऐसा नही करना चाहिए। आपके सामने जो भोजन परोसा गया है उसकी कभी भी निदना न करे और न ही कभी भी क्रोध में या जलन में या किसी से बैर भाव मन में रखकर भोजन करना चाहिए। ऐसा माना जाता है खाना शांत माहौल में और शांत मन से और बिना बात किए करना चाहिए।
- भोजन यदि पूरा परिवार मिलकर भोजनकक्ष में करे, तो ये शुभ होता है।
क्या आप भी भोजन को सही तरीके से खाते हैं?
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