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इस दिशा में पूजन करने से होंगी सभी मनोकामनाएं पूरी !

इस दिशा में पूजन करने से होंगी सभी मनोकामनाएं पूरी !

पिछले लेख में हमने जाना कि पूजन के लिए प्रतिमा के आकार का बहुत महत्व होता है । विभिन्न आकार की प्रतिमाएं पूजा करने वाले को अलग अलग प्रकार का फल प्रदान करती हैं । लेकिन केवल प्रतिमा के आकार का ध्यान रखने से ही बात पूरी तरह नहीं बनती है। पूजन करते समय एक और महत्वपूर्ण बात का ध्यान रखना पड़ता है – जातक के मुख की दिशा । जी हाँ , अगर आप गलत दिशा की ओर मुख करके पूजन करते हैं तो आपको पूजन का पूरा फल नहीं मिलेगा । यह भी संभव है कि अशुभ दिशा में पूजन करने से जातक को कुछ हानि भी उठानी पड़े । 

आज के लेख में हम जानने वाले हैं कि पूजन करने के लिए सबसे शुभ दिशा कौन सी होती है ? इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे कि किस दिशा में मुख करके पूजन करने से कैसा फल प्राप्त होता है ?

किस दिशा में पूजा करनाआपके लिए शुभ होगा? और कौन सी दिशा आपको क्या फल देगी?
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पूजन करने के लिए सबसे शुभ दिशा-

वास्तु शास्त्र में पूजन करने के लिए शुभ दिशाएं दो मानी गई हैं । पहली पूर्व दिशा और दूसरी उत्तर दिशा । पूर्व दिशा और उत्तर दिशा में मुख करके पूजन करने से जातक को पूजन का पूर्ण फल प्राप्त होता है । इसलिए पूजा करते समय हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि आपका मुख पूर्व या उत्तर में से किसी एक दिशा में अवश्य हो ।

पूजन हेतु सभी दिशाओं का फल -

वास्तु शास्त्र में पूजन के लिए दो शुभ दिशाओं का उल्लेख किया गया है । दिशा बदलने के साथ ही जातक को मिलने वाले फल में भी बदलाव आ जाता है । आगे हम एक एक करके सभी दिशाओं से मिलने वाले फल को जानने वाले हैं ।

पूर्व दिशा की ओर किए जाने वाले पूजन का फल-

वास्तु शास्त्र में पूर्व दिशा को, पूजन करने के लिए सर्वाधिक शुभ दिशाओं में से एक बताया गया है । इस दिशा की ओर मुख करके पूजन करने से जातक के जीवन में सुख, समृद्धि व शांति आती है । इसके साथ ही यह दिशा जातक को उसकी सभी समस्याओं का हल प्रदान करती है ।

पश्चिम दिशा की ओर किए जाने वाले पूजन का फल-

वास्तु शास्त्र में पश्चिम दिशा को पूजन के लिए शुभ नहीं माना जाता है । पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजन करने से जातक की संतान को कष्ट पहुँचता है ।

उत्तर दिशा की ओर किए जाने वाले पूजन का फल-

पूर्व दिशा के अलावा जो दिशा पूजन के लिए सबसे शुभ मानी गई है वो उत्तर दिशा है । उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजन से करने से जातक को धन-धान्य की प्राप्ति होती है । साथ ही समाज में उसकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है ।

दक्षिण दिशा की ओर किए गए पूजन का फल-

दक्षिण दिशा भी पूजन के लिए बेहद अशुभ मानी जाती है । इस दिशा की ओर मुख करके पूजन करने से जातक संतानहीन हो सकता है ।

ईशान की ओर किए गए पूजन का फल-

ईशान यानि उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजन करने से जातक के भाग्य में कमी होती है ।

आग्नेय की ओर किए गए पूजन का फल-

आग्नेय यानि दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजन करने से जातक को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है ।

नैऋत्य की ओर किए गए पूजन का फल-

नैऋत्य यानि दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजन करने से जातक के कुल का नाश हो सकता है ।

वायव्य की ओर किए गए पूजन का फल-

वायव्य यानि उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजन करने से जातक को संतति कष्ट हो सकता है ।

निष्कर्ष -

इस प्रकार से हमने जाना कि पूर्व दिशा व उत्तर दिशा, पूजन करने के लिए सबसे शुभ मानी गई है ।

इस दिशा में पूजन करने से होंगी सभी मनोकामनाएं पूरी !
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