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शनि अमावस्या का महत्व क्या है? - Blog

शनि अमावस्या का महत्व क्या है?

शनि अमावस्या का महत्व क्या है?

शास्त्रों अनुसार यदि शनि अशुभ भाव में होंगे तो व्यक्ति के जीवन में तकलीफे ही तकलीफें होंगी। उनका हर काम बाधित होगा। वो जो भी पूंजी जमा करेगे वो सब बर्बाद हो जाएगी और वो धन की किल्लत का सामना करने लगेगे। उनकी नौकरी जा सकती है और अगर व्यापार कर रहे हैं तो उसमें बहुत नुकसान हो सकता है। कई तरह के रोग घेर सकते हैं। यदि आप भी इन सभी परेशानियों का सामना कर रहे हैं तो शनि देव को प्रसन्न करने और जीवन में खुशियाँ लाने का समय आ गया है। जी हाँ जल्दी ही शनि अमावस्या आने वाली है।

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शनि अमावस्या कब है?

इस साल 2022 में शनि अमावस्या 27 अगस्त को आ रही है। विद्वानों अनुसार इसे कुशाग्रही अमावस्या भी कहते हैं। कहते इस दिन शनि देव को खुश और प्रसन्न करने के प्रयासों के साथ साथ अपने पितरो को भी दिल से और सम्मान के साथ याद करना चाहिए । ये दिन हमारे सभी पितरो के प्रति समर्पित होता है। जिनकी कुंडली में दोष होता है उन्हें इस दिन शान्ति उपाय करना चाहिए।

ऐसा माना जा रहा है इस इस साल की शनि अमावस्या में पद्म और शिव दो शुभ संयोग बन रहे हैं। इस साल अमावस्या 26 अगस्त को 12।24 मिनट से शुरू होगा। इस दिन शुक्रवार है और इसकी समाप्ति 27 अगस्त को 1।47 मिनट पर होगी। 

शनि अमावस्या का महत्व

शनि अमावस्या का बहुत महत्व है। इस दिन शनि दोष के निवारण के लिए उपाय किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन विधिपूर्वक यदि उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास किया जाए तो शुभ फल प्राप्त होता है। शनि देव प्रसन्न होकर जीवन के सभी तकलीफों को दूर कर देते हैं। वो लोग जिनके ऊपर शनि की ढैय्या तथा साढ़ेसाती चल रही होती है उनके लिए इस दिन पूजा करना बहुत ही शुभ होता है। 

इस दिन भक्त पीपल की पूजा करते हैं। पीपल के वृक्ष पर वो जल और दूध अर्पित करते हैं। जल अर्पित करने के बाद पीपल के पाँच पत्तो में पाँच तरह के मिष्ठान रखे जाते हैं। इसके बाद शनि देव का मन में स्मरण और जाप करते हुए पीपल के पास घी का दिया जगाया जाता है और फिर पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा की जाती है।

हिन्दू धर्मानुसार इस दिन पितरो की शांति और उनकी याद में तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। ये परम्परा सालो से चली आ रही है। इसे कुशाग्रही अमावस्या के नाम से पुकारने जाने के पीछे एक कारण है। ऐसा माना जाता है इस दिन कुश इकठ्ठा किया जाता है। कुश का इस्तेमाल पूजा पाठ में होता है। कुश से आसन बनाया जाता है और फिर उस पर बैठकर श्रध्दा से पूजा करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है ऐसा करने से व्यक्ति को एक विशेष तरह की सिद्धि प्राप्त होती है। लोग कुश की अंगूठी बनाकर श्राद्ध और पितृ तर्पण करते हैं। शनि देव के पूजन के लिए रात या शाम का समय उत्तम होता है।

शांति अमावस्या के दिन जरुर करे ये काम

  • धर्म के अनुसार शनि अमावस्या पर कुछ विशेष कार्य जरुर करने चाहिए जैसे-
  • सनातन धर्म में दान, स्नान और तप का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है अमावस्या के दिन यदि दान और स्नान किया जाए तो व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है। 
  • इस दिन व्यक्ति को शनि देव के मंदिर जरुर जाना चाहिए और उनकी श्रध्दा से पूजन करना चाहिए। इस दिन शनि देव को सरसों का तेल, काले तिल और नीले रंग के पुष्प चढाए जाते हैं। 
  • इस दिन शनि मंत्रो के जाप का बहुत  महत्व है, खासकर उनके लिए जिनके जीवन में साढ़ेसाती का बहुत प्रभाव है। 
  • इस दिन यदि व्यक्ति गरीबो और असहाय लोगो की मदद करता है तो उसकी इस सेवा भाव से शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं।
  • जिनका बार बार एक्सीडेंट होता है या किसी बीमारी से ग्रस्त हैं उन्हें इस दिन शनि देव की पूजा करनी चाहिए। इससे उनके जीवन में शांति आएगी।
  • जिनके वैवाहिक जीवन में परेशानियाँ आ रही है उन्हें अपने जीवन की परेशानियाँ दूर करने के लिए शनि देव का पूजन करना चाहिए।
  • इस दिन शनि की वस्तुओ जैसे उडद, तेल, लोहा, जूते चप्पल, पुराने कपडे या खाने की तली हुई चीजे जैसे कचोरी, समोसा, पकोड़े आदि दान करने चाहिए।
  • जिन लोगो को बहुत मेहनत करने के बाद भी फल  नही मिलता है उन्हें शनि अमावस्या के दिन उनका पूजन करना चाहिए और हर शनिवार को अपनी शरीर की तेल मालिश करनी चाहिए।
  • शनि की शुभता पाने और शांति के लिए शनि चालीसा का और शनि स्त्रोत का श्रध्दा से पाठ करना चाहिए।

क्या आप भी शनि अमावस्या के दिन शनि देव के मंदिर उनके दर्शन के लिए जाते हैं?

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शनि अमावस्या का महत्व क्या है?
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