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मार्कंडेय पुराण में क्या लिखा है? - Blog

मार्कंडेय पुराण में क्या लिखा है?

मार्कंडेय पुराण में क्या लिखा है?

मार्कंडेय पुराण हिन्दू धर्म का एक बहुत महत्वपूर्ण पुराण हैं। ये 1700 साल पुराना है। कई ऋषि मुनि इसे विशिष्ट मानते हैं क्योकि इसमें देवी भगवती की कहानी का सबसे पुराना रिफरेन्स है। माँ की इस कहानी में दुर्गा माँ ने महिषासुर दानव का विनाश किया जाता था।  इस लेख में हम आपको मार्कंडेय पुराण के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने इसलिए इस लेख के अंत तक बने रहे।

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पुराण क्या है?

हिन्दू धर्म में पुराणों का बहुत महत्व है। पुराण मुख्यत: संस्कृत में लिखे गए जिसे बाद में कई अन्य भाषाओं में अनुवादित किया गया। पुराणों में विभिन्न संतों,ऋषियों और देवी देवताओं और उनके अवतारों के बारे में और उनके जीवन और व्यक्तिगत अनुभव की कहानियों के बारे में वर्णित है। विद्वानों के अनुसार सभी 18 पुराणों में मार्कंडेय पुराण का एक महत्वपूर्ण और विशेष स्थान है। पुराणों को इस तरह लिखा गया मानो कोई कहानी बता रहा हो। इसे बहुत ही आसान भाषा में बताया गया है ताकि इसे पढने वाले इसे आसानी से समझ पाएं। पुराणों में ऋषि मुनियों की उत्पत्ति, देवी देवताओं के वंशो की कहानी, सोलर सिस्टम और सौर ऊर्जा की जानकारी से लेकर चन्द्र राजवंशो के इतिहास का भी वर्णन है। इसमें हिन्दू धर्म के रीति-रिवाजों, त्योहारों, अनुष्ठानों, तीर्थ स्थानों आदि का भी वर्णन है ।

मार्कंडेय पुराण क्या है?

हिन्दू धर्म के प्रमुख धर्म शास्त्रों में से एक है मार्कंडेय पुराण। इस पुराण का नाम ऋषि मार्कंडेय के नाम पर आधारित है। इसमें धर्म कर्म की जानकारी के साथ साथ ईश्वर को समर्पित कुल 137 अध्याय और 900 श्लोक हैं। इन अध्यायों और श्लोको में धर्म, समाज और पौराणिक कथाओं का सुन्दर विवरण है। इसका सबसे पहला संस्करण मार्कंडेय ऋषि द्वारा नर्मदा नदी के तट पर लिखा गया था। इसमें पश्चिम भारत और विन्ध्याचल श्रेणी के बारे में भी लिखा है। ये पश्चिम बंगाल और उड़ीसा जैसे पूर्वी राज्यों में का एक लोकप्रिय ग्रंथ है।

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मार्कंडेय ऋषि कौन हैं?

मार्कंडेय भगवान भोलेनाथ के प्रिय परम भक्त और महान ऋषि थे। उनके पिता मृकंड थे। कहते हैं भोलेनाथ के आशीर्वाद से ही उनका जन्म हुआ। वो अपने बाल्यकाल से ही बहुत बुद्दिमान थे। उनके जन्म से पहले उनकी प्राप्ति के लिए उनके पिता ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था, तब उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर जब शिवजी उनके पिता से पुछा की तुम्हे कम उम्र वाला बुद्दिमान पुत्र चाहिए या लम्बी आयु वाला बुद्धिहीन और गुणहीन पुत्र। तो जवाब में उन्होंने कहा था उन्हें कम उम्र वाला गुणवान और बुद्धिमान पुत्र चाहिए। जब मार्कंडेय ऋषि की उनकी आयु 16 साल की हुई तो उनकी आयु पूर्ण होने पर यमराज उन्हें लेने आए और उन्हें यमफांश में फंसा लिया। अपने सामने यमराज को देख वो डर गए और शिवलिंग को जोर से पकडकर उससे लिपट गए। तब शिवजी वहां प्रकट हुए और उन्होंने यमराज को मार्कंडेय को लिए बिना वापिस भेज दिया और उन्हें लम्बी उम्र का आशीर्वाद दिया। इस आशीर्वाद को पाकर मार्कण्डेय अमर हो गए और पहाड़ो पर तपस्या करने चले गए।

मार्कंडेय पुराण में क्या लिखा है

मार्कंडेय पुराण में दुर्गा चरित्र और उनके विषय में विस्तारपूर्वक वर्णन है।  इसमें मानव कल्याण के लिए हितकर सभी आध्यात्मिक,सामाजिक, नैतिक और भौतिक विषयों के बारे में सुन्दर और विस्तृत वर्णन है। इसमें भारत के प्राकर्तिक वैभव और अपार सुन्दरता के बारे में भी बताया गया है।

इसमे धन कमाने के कई उपायों के बारे में भी लिखा है साथ ही लोगो को देश हित के लिए धन त्यागने के लिए भी प्रेरित किया है। इसमें शरीर विज्ञान के विषय में भी सुन्दर वर्णन है। इसमें स्त्री को वश में करने के लिए मन्त्र विद्या भी बताई गयी है। इतना ही इसमें गृहस्थ धर्म के महत्व, अतिथियों के आदर और उनके प्रति हमारे कर्तव्यों, पितरो के प्रति हमारे कर्तव्य, विवाह के सभी नियमो, स्वस्थ नागरिक बनने के उपाय, सत्संग के महत्व, सदाचार के महत्व, त्याग, कर्तव्य परायणता आदि का भी वर्णन है।

इस पुराण में व्यक्ति को संन्यास लेने के बारे में नही बल्कि गृहस्थ आश्रम में उनके कर्म के बारे में बताया गया है। व्यक्ति को सन्मार्ग में चलने के लिए प्रेरित करने के लिए इस ग्रन्थ में नरक के भय और पुनर्जन्म के सिद्धान्तों के बारे में भी बताया गया है। 

इसमें जप तप और पूजा पाठ के बारे में भी वर्णित है। इसमें  ईश्वर को पाने के लिए ॐ की साधना को बहुत महत्वपूर्ण बताते हुए इस पर जोर दिया गया है। 

इसमें अष्ट सिद्धियों और योग साधना के बारे में बताया गया है, साथ ही आत्मदर्शन और आत्मत्याग से मोक्ष कैसे पाना है, ये भी वर्णित है। इसमें इन्द्रियों को संयम से वश में करने के बारे में भी बताया गया है। 

इसमें सभी देवी देवताओं को समान रूप से आदर, महत्व और सम्मान दिया गया है। इसमें ब्राह्मण धर्म के विषय में भी उल्लेख है। इसमें क्षत्रिय राजाओं के कर्तव्य, उनके साहस और उनके राजधर्म का वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है कि जो राजा अपनी प्रजा की रक्षा नही करता वो नर्क का अधिकारी होता है। 

इसमें कई प्रसंगों द्वारा अहंकार और क्रोध करने के दुष्परिणामो को समझाने के लिए प्रयास किया गया है।

क्या आपने कभी मार्कंडेय पुराण पढ़ा है?

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मार्कंडेय पुराण में क्या लिखा है?
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