Notice: Function is_home was called incorrectly. Conditional query tags do not work before the query is run. Before then, they always return false. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 3.1.0.) in /home/l93y487memcp/public_html/alokastrology.com/blog/wp-includes/functions.php on line 6121 क्या आपकी जन्मकुंडली में है प्रेम विवाह का योग ? - Blog
वैसे तो प्रेम का कोई एक दिन, एक सप्ताह, एक महीना या एक साल नहीं होता क्योंकि प्रेम शाश्वत है, ये पहले भी रहा है, आज भी है और आगे भी रहेगा । किन्तु पाश्चात्य संस्कृति के अनुसार साल के फरवरी माह में प्रेम का पूरा सप्ताह मनाया जाता है, जो हाल ही में 14 फरवरी को समाप्त हुआ है । ये सप्ताह प्रेमियों के लिए बहुत विशेष होता है । हर प्रेमी जोड़े का सपना होता है कि एक दिन उनका प्रेम, विवाह में परिणीत हो जाए । सब लोग इतने भाग्यशाली नहीं होते हैं कि उनका यह सपना पूरा जाए किन्तु बहुत सारे लोगों का यह सपना पूरा भी हो जाता है ।
आज हम इसी विषय पर बात करने जा रहे हैं कि किन लोगों की जन्म कुंडली में प्रेम विवाह का योग है और किन लोगों का यह सपना टूट सकता है ? साथ ही यह भी जानेंगे कि किन लोगों को प्रेम में धोखा मिल सकता है हालांकि जहां प्रेम हो वहाँ धोखे का तो सवाल ही नहीं उठता किन्तु कई बार व्यक्ति के सामने ऐसी परिस्थियाँ बन जाती हैं कि उसके पास अन्य कोई विकल्प ही नहीं बचता है ।
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जन्मकुंडली में प्रेम भाव कैसे देखें ?
कुंडली में अपने प्रेम के स्वरूप व भविष्य को जानने के लिए पंचम भाव देखा जाता है । पंचम भाव जातक की बुद्धि का, ज्ञान का व संतान का भाव होता है किन्तु यह भावनाओं का भी भाव होता है । प्रेम और भावना एक दूसरे के पूरक हैं । भावनाओं के बिना प्रेम का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा । इसलिए भावनाओं का जो भाव है वही भाव प्रेम का है ।
पंचम भाव में प्रेम को देखने के बाद यदि आप यह जानना चाहते हैं कि आपका प्रेम, विवाह में तब्दील होगा या नहीं , तो इसके लिए जन्म कुंडली का चतुर्थ भाव देखा जाता है । चतुर्थ भाव में मातृत्व सुख , मैत्रीय सुख जैसे विषयों को देखा जाता है किन्तु इसी भाव से धोखा , छल , कपट का भी विचार किया जाता है । इसलिए चतुर्थ भाव से यह पता चलता है कि आपका प्रेम सफल होगा या आपको प्रेम में धोखा मिलेगा ।
प्रेम विवाह के लिए जन्म कुंडली में जिन दो ग्रहों की स्थिति सबसे महत्वपूर्ण होती है, वो हैं – शुक्र देव व चंद्र देव । शुक्र प्रेम के प्रतीक हैं तो वहीं चंद्रमा मन के प्रतीक हैं । इसलिए जन्म कुंडली में इन दोनों ग्रहों का उच्च स्थिति में होना , प्रेम विवाह के लिए बहुत आवश्यक है । यहाँ पर एक बात ध्यान देने वाली है कि इन दोनों ग्रहों का परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि जन्म कुंडली में इनका किन दूसरे ग्रहों के साथ योग बन रहा है । मान लीजिए आपकी जन्म कुंडली में शुक्र व चंद्र बहुत मजबूत स्थिति में है किन्तु आपकी कुंडली के पंचम भाव यानि प्रेम भाव पर राहु या शनि जैसे किसी नीच ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो तो यह आपके प्रेम संबंधों में अलगाव का कारण बन सकते हैं । इसके ठीक विपरीत शुक्र व चंद्र उच्च के हों और गुरु जैसे किसी शुभ ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो तो जातक निश्चित ही अपने प्रेम को विवाह में बदलने में सफल होता है ।
निष्कर्ष -
इस प्रकार से आप अपनी जन्म कुंडली का लग्न भाव, चतुर्थ भाव व पंचम भाव का विश्लेषण करके व अपनी जन्म कुंडली में शुक्र व चंद्रमा की स्थिति का अध्ययन करके यह पता लगा सकते हैं कि आपका प्रेम विवाह करने का सपना पूरा होगा या नहीं ।