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गणेश जी की स्थपाना करने की विधि क्या है? - Blog

गणेश जी की स्थपाना करने की विधि क्या है?

गणेश जी की स्थपाना

गणेश जी को कई नामो से पुकारा जाता है जैसे विनायक, गजानन, एक दन्त, वक्रतुंड आदि। गणेश उत्सव भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। ये उत्सव पूरे भारतवर्ष में 10 दिनों तक पूरी श्रधा से मनाया जाता है। हर साला की तरह इस साल भी गणेश उत्सव की धूम होगी। इस उत्सव के पहले दिन गणेश जी को घर पर ढोल धमाके के साथ नाचते हुए घर लाया जाता है और 10 दिन उनकी पूजा अर्जन सभी सम्बन्धी और बंधुओ सहित की जाती है और फिर उनका विसर्जन धूम धाम से किया जाता है और उनसे आग्रह किया जाता है कि गणपति जी अगले बरस तू जल्दी आ।

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कुछ लोग गणेश जी का विसर्जन 10 के बाद करते हैं और कुछ लोग समय की कमी के कारण 1 ½ दिन या 5 दिन रखते हैं। जब गणपति जी का विसर्जन किया जाता है तब लोग धूम धाम से नाचते हुए जाते हैं। 

गणेश को घर पर लाने से पहले क्या तैयारी करे?

गणेश को घर लाने से पहले अपने घर को साफ़ करे और उसे सजाए, खासकर वो स्थान जहाँ आप गणेश जी को स्थापित करने वाले हैं। ऐसी मान्यता है आप जितना आराम और सुविधाएं और ख़ुशी से आप उनका स्वागत और पूजन करेगे उतना ही सुख आपको प्रतिसाद के रूप में पपात होगा। जहाँ आप उन्हें स्थापित करने वाले हैं उस स्थान को पहले साफ़ पानी से धोकर स्वच्छ और शुद्ब कर लें।

अब उस स्थान पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाए और उस पर हल्दी से तिलक लगाए। अब अक्षत करीबन एक मुट्ठी रखे। अब इस स्थान पर चौकरी रखे। अब इस चौकी पर पीला, केसरिया या लाल रंग का साफ़ कपडा बिछाएं। अब उस स्थान को फूलो से और लाइट लगाकर रौशनी करे। अब रंगलो बनाए और उस जगह पर आम के पत्ते और फूल सजाए।

जहाँ आप गणेश जी को स्थापित करने वाले हैं वहां इतनी जगह होनी चाहिए कि आप वहां आप आरती की थाली रख सके जिसमें दिया, अगरबत्ती, धूप हो। उनके लिए उनका प्रिय लड्डू या मोदक प्रसाद रूप में रखे। ऐसे कमरे में गणेश जी स्थापित करे जहाँ पर सभी लोग उनके पूजन में शामिल होस के। अब एक ताम्बे के कलश को साफ़ करे और उसमें पानी भरकर रखे। अब इसमें आम के पत्ते लगे और उस पर नारियल रखे। नैर्यल में भी स्वस्तिक बनाए और अक्षत लगाए।

जब आप गणपति जी को लेने जाए साफ़ और नए वस्त्र पहने। पुरुषो को अपने सिर को रुमाल से और महिलाओं को दुपट्टे से सिर को ढक लेना चाहिए। महिलाओं को अच्छे से तैयार होकर जाना चाहिए। अपने साथ चंडी या ताम्बे या पीतल की ताली लेकर जाए या सुन्दर सजा हुआ लकड़ी का पाटा। 

जब सभी धूम धाम से गणेश जी को लेकर आए तब घर की मालकिन उनका घर के दरवाजे पर स्वागत करे। पहले पूजा की थाली से गणपति जी की आरती करे, शुभ मन्त्र बोले और आधार के साथ उन्हें घर में जयकारा लगाए हुई लाए और शुभ मुहूर्त में उन्हें स्थापित करे। सभी मिलकर उनकी आरती करे और उनका पसंद के मोदक और लड्डू का भोग लगाए और सबको प्रसाद रूप में बांटे। पूजा में पञ्च मेवे रखना शुभ होता है, इसलिए रोज पूजा के समय पांच मेवे रखे।

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गणेश जी की स्थापना और पूजन के समय बरते ये सावधानी

  • जब आप गणेश जी की स्थापना कर दें तब उनकी मूर्ति की बाई तरह गेहूँ या चावल के ऊपर कलश रखे। कलश में मौली बांधे और आमे के पत्ते रखने के बाद नारियल रखे। कलश को भी धूप अगर्बात्ति दिखाए।
  • जब आप कलश के ऊपर नारियल रखे तो इस बात का ध्यान रखे कि नारियल की जटाओ वाला हिस्सा ऊपर होना चाहिए।
  • गणेश जी की दाई और घी का दीपक जगाना चाहिए और यही पर दक्षिणावर्ती शंख रखे।
  • सुपारी भी रखे।
  • जब पूजा आरभ करे तब अपने हाथ में जल, अक्षत, पुष्प ले और गणेश जी का ध्यान करके और फिर समस्त देवी देवताओं का श्रद्धा से स्मरण करे। 
  • फुल और अक्षत चौकी पर अर्पित करे। अब मौली को सुपारी में लपेटे और थोड़े से अक्षत रखकर उसके ऊपर सुपारी रखे। 
  • अब गणपति जी का आह्वान करे और कलश पूजा करे, फिर दीप पूजन करे।
  • अब गणेश जी का पूजन करे और परम्परानुसार उनकी आरती और मन्त्र पढ़े।
  • ध्यान रखे पूरे 10 दिन रोज नियमित रूप से उनका पूजन और आरती करे। रोज उन्हें प्रसाद का भोग लगाए।

पर्यावरण की दृष्टि से देखा जाए तो हमे घर में इकोफ्रेंडली गणपति जी लाने चाहिए और उनका विसर्जन घर के बाहर किसी साफ़ पानी की टंकी या बर्तन में विसर्जन करना चाहिए और फिर उस पानी को पेड पौधों में डाल देना चाहिए। कई लोग इसे नदियों में विसर्जित करते हैं। वैसे तो कोई परेशानी नही लेकिन प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से बनी मूर्तियाँ पानी में घुलती नही है और गर्मियों में पानी सूख जाता है तब वो मूर्तियाँ खंडित रूप में दिखाई देती है। सबसे गुजारिश है कि इकोफ्रेंडली गणपति जी ही घर लाए।

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