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भवन निर्माण के समय दिशा निर्धारण कैसे करें ?

Alok astrology

हम सभी का सपना होता है कि जीवन में एक घर ऐसा हो जिसे हम अपना कह सकें । अपना घर बनाने के लिए इंसान क्या कुछ नहीं करता । जीवन भर मेहनत करके धन इकट्ठा करता है और फिर बड़ी उम्मीद से अपना घर बनवाता है । अब अगर कहीं जानकारी के अभाव में घर का वास्तु बिगड़ जाए तो उस व्यक्ति के लिए कई तरह की परेशानियाँ खड़ी हो जाती हैं । इसलिए आपको वास्तु दोष की दुविधा से बचाने के लिए आज हम इसी विषय पर बात करने जा रहे हैं । अपना मकान बनाते समय आपको दिशा का विशेष ध्यान रखना होता है ।घर की खिड़की , दरवाजों से लेकर रोशनदान तक हर चीज के लिए शुभ दिशा व शुभ जगह का निर्धारण किया गया है । 

भविष्यफल ,राशिफल ,विवाह ,करियर संबंधी सवालों से परेशान हैं तो आज ही ज्योतिषीय परामर्श के लिए संपर्क करें विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी श्री आलोक खंडेलवाल से । 

भवन निर्माण के समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें –

सबसे पहले तो आपको ध्यान रखना होगा कि शास्त्रों में दक्षिण दिशा की ओर घर का द्वार होने को बहुत अशुभ बताया गया है । किन्तु यदि किसी घर का द्वार दक्षिण दिशा की ओर है और उसके ठीक सामने कोई दूसरा घर है इसका द्वार उत्तर दिशा की ओर है तो ऐसी स्थिति को शास्त्रों में अशुभ नहीं माना गया है । 

हम सब सूर्य देव के महत्व को जानते ही हैं । सूर्य देव ना केवल हमारे आराध्य देवता हैं बल्कि उनके प्रकाश के ताप के भी कई लाभ होते हैं । घर बनाते समय हमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जो निम्नलिखित हैं – 

  1. हमें अपने घर की खिड़कियां पूर्व दिशा की ओर रखनी चाहिए जिससे सुबह की धूप खिड़कियों से घर के अंदर आ सके व हमारे आलस्य को दूर करके हमारे अंदर एक ऊर्जा का संचार कर सके ।  

 

  1. घर के कमरों की दिशा उत्तर पूर्व सबसे अधिक शुभ मानी जाती है । इस दिशा में कमरे होने से अधिक गर्मी व अधिक सर्दी का खतरा नहीं रहता है । 

 

  1. हमारे घर का आँगन पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए । 

 

  1. सबसे महत्वपूर्ण बात कि हमारे घर का मुख्य द्वार पूर्व या उत्तर या फिर उत्तर पूर्व में होना चाहिए । 

 

  1. घर बनाते समय ध्यान रखें कि जगह की लंबाई व चौड़ाईं लगभग समान अनुपात में होनी चाहिए । 

 

  1. कभी भी आपके घर और आपके पड़ोसी के घर के बीच एक दीवार नहीं होनी चाहिए यानि आपकी दीवार अलग और पड़ोसी के घर की दीवार अलग होनी चाहिए । 

 

  1. घर का शयन कक्ष पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए । 

 

  1. घर का स्नानागार पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए । 

 

  1. विद्यार्थियों के लिए सबसे शुभ दिशा उत्तर पूर्व मानी गई है इसलिए पढ़ने लिखने का कक्ष इसी दिशा में होना चाहिए । 

 

  1. घर का शौचालय पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए और शौचालय व रसोई घर में पर्याप्त दूरी होनी चाहिए ।

ये सभी वो मुख्य बातें हैं जिनका हमें भवन निर्माण कराते समय बहुत ध्यान रखना चाहिए। 

निष्कर्ष – 

इस प्रकार से हमने शास्त्रों के अनुसार नए घर बनाने के लिए बताए गए नियमों का विवेचन किया । अगर आप अपना घर बनाते समय इन सारी बातों का पूरी तरह से अनुपालन कर लेते हैं तो नया घर आपके जीवन में बहुत खुशियां लेकर आएगा । आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा व आप धनोपार्जन करने में सफल रहेंगे । आपके परिवार में आपसी प्रेम भाव बना रहेगा लगातार बढ़ता रहेगा । इसके अलावा आप समाज में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहेंगे व आजीवन वास्तु दोष के कष्ट से मुक्त रहेंगे । 

भवन निर्माण के समय दिशा निर्धारण कैसे करें ?
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