कालसर्प दोष क्या है ?

Alok astrology

अपना भविष्य, विवाह, स्वास्थ्य या जीवन के किसी अन्य महत्वपूर्ण पड़ाव के बारे में जानने के लिए हम सबने या हमारे किसी परिचित व्यक्ति ने कभी ना कभी अपनी जन्म कुंडली किसी अनुभवी ज्योतिषी को ज़रूर दिखाई होगी। आपने ये सुना होगा कि कई बार ज्योतिषी हमारी कुंडली को देखकर बताते हैं कि आपकी कुंडली में राहु दोष, शनि दोष या अन्य कोई दोष है। इसके साथ ही उस दोष को दूर करने का उपाय भी बताया जाता है। कुंडली में ऐसा ही एक दोष होता है – कालसर्प दोष। 

आज हम बात करने जा रहे हैं कि कालसर्प दोष क्या होता है? कुंडली देखकर कालसर्प दोष होने का पता कैसे चलता है? कालसर्प दोष का किसी व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? और अंत में सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न कि कालसर्प दोष को दूर करने का क्या उपाय है? 

ऐसा माना जाता है कि कुंडली में जब राहु और केतु के बीच में सभी ग्रह समा जाते हैं तो कालसर्प दोष की स्थिति बन जाती है। बहुत से लोग कालसर्प दोष का नाम सुनकर ही घबरा जाते हैं किन्तु घबराने की जगह इसके विषय में सही जानकारी की ज़रूरत है। 

कालसर्प दोष 12 प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं – 

  1.अनंत कालसर्प दोष 

 

  1. कुलिक कालसर्प दोष 

 

  1. वासुकि कालसर्प दोष 

 

  1. शंखपाल कालसर्प दोष 

 

  1. पद्म कालसर्प दोष 

 

  1. महापद्म कालसर्प दोष 

 

  1. तक्षक कालसर्प दोष 

 

  1. कारकोटक कालसर्प दोष 

 

  1. शंखचूड़ कालसर्प दोष 

 

  1. घातक कालसर्प दोष 

 

  1. विषधर कालसर्प दोष 

 

  1. शेषनाग कालसर्प दोष 

ये सभी के सभी नाम दुनिया के प्रमुख साँपों को आधार बना कर रखे गए हैं।

किसी भी प्रकार की शंका व ज्योतिषीय परामर्श के लिए संपर्क करें विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी श्री आलोक खंडेलवाल से ।

कालसर्प दोष का प्रभाव – 

कालसर्प दोष के विषय में मान्यता है कि यह जिस जातक की जन्म कुंडली में होता है उसे बहुत अधिक कष्ट पहुँचाता है। हालांकि ये बात शत प्रतिशत सही नहीं है क्योंकि दुनिया में बहुत से ऐस लोगों की जन्म कुंडली में कालसर्प दोष देखा गया है जो अपने कार्यक्षेत्र में अत्यधिक सफल रहे हैं। इसका सीधा सा अर्थ है कि यह दोष सभी को हानि नहीं पहुंचाता है किन्तु यह भी सत्य है कि इस दोष के होने से अधिकांश लोगों के जीवन में मुश्किलों का आना प्रारम्भ हो जाता है। सबसे पहले तो यह जातक की मानसिक शांति को भंग करता है। जातक बहुत ही अशांत व बैचेन रहने लगता है। 

इसके अलावा ऐसे लोग अपने जीवन में जो भी कार्य करने का प्रयास करते हैं उन्हें लगातार असफलताओं का सामना करना पड़ता है । अध्ययन करने वाले लोगों को के लिए यह दोष पढ़ने लिखने में बाधा बन कर सामने आता है । ऐसे लोगों को कोई भी विषय बड़ी मुश्किल से समझ में आता है और बहुत जल्दी मस्तिष्क से उतर भी जाता है । यदि जातक विवाह योग्य हो गया हो और उसकी कुंडली में कालसर्प दोष हो तो विवाह में देरी होती चली जाती है । कुंडली में कालसर्प दोष के कारण कई बार आकस्मिक मृत्यु जैसी स्थिति भी पैदा हो जाती है । 

कालसर्प दोष का निवारण – 

कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए राहु व केतु के सभी मंत्रों का जाप 4 बार कराने से इस दोष से मुक्ति मिलती है । इसके बाद गणेश जी की स्थापना करें व शिव जी व नारायण स्वामी का आह्वान करने से आप इस दोष से छुटकारा पा सकते हैं । ये सारे क्रिया कर्म किसी विद्वान ब्राम्हण के माध्यम से कराएं । इसके लिए सर्वाधिक शुभ दिन बुध व शनि माने जाते हैं । 

 

निष्कर्ष – 

इस प्रकार से हम समझ सकते हैं कालसर्प दोष से डरने की आवश्यकता नहीं है बल्कि इससे मुक्ति पाने के लिए ऊपर सुझाए गए उपायों का पालन करें।  

कालसर्प दोष क्या है ?

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