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जन्मकुंडली के किन भावों में मंगल देता है शुभ फल?

मंगल को सामान्यतः पाप ग्रह के रूप में देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जन्मकुंडली में मंगल ग्रह जातक के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है किन्तु यह बात हमेशा सच नहीं होती है। हालांकि यह सच है कि मंगल अधिकांश स्थितियों में जातक को बुरा फल ही देता है लेकिन जन्म कुंडली के कुछ भाव ऐसे भी होते हैं जिनमें मंगल ग्रह जातक को शुभ फल प्रदान करता है। 

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आज के लेख में हम जानने वाले है कि जन्म कुंडली के किस भाव में मंगल किस तरह का फल प्रदान करता है? साथ ही यह भी जानेंगे कि जन्म कुंडली के किन भावों में मंगल श्रेष्ठ फल देता है?

मंगल ऊर्जा व उत्साह के कारक ग्रह हैं लेकिन इसके साथ ही मंगल महत्वाकांक्षा के कारक ग्रह भी हैं। महत्वाकांक्षी होना, जातक के लिए अच्छा भी है और बुरा भी। अगर कोई जातक अपनी महत्वाकांक्षा को पाने के लिए लिए सही दिशा में मेहनत करता है तो यह जातक के लिए अच्छा है लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि जातक की इच्छाएं इतनी अधिक बढ़ जाती हैं कि उन्हें पाने के लिए वह हर तरह के गलत कदम उठाने के लिए भी तैयार हो जाता है। यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि इसके पीछे भी मंगल ग्रह का हाथ होता है। मंगल, जातक को अत्यंत महत्वाकांक्षी बना देते हैं जिसके कारण वह सही और गलत का अंतर भूल जाता है। 

जन्मकुंडली के किन भावों में मंगल देते हैं सर्वश्रेष्ठ फल-

जन्म कुंडली में कुल 12 भाव होते हैं जिसमें हर एक भाव का अपना अलग महत्व होता है। हर एक ग्रह जन्म कुंडली के अलग अलग भावों में अलग अलग फल देता है।  मंगल भी जन्म कुंडली के कुछ भावों में जातक को बहुत श्रेष्ठ फल प्रदान करते हैं और कुछ भावों में जातक को बेहद अशुभ फल प्रदान करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली के जिन भावों में मंगल ग्रह जातक को शुभ फल प्रदान करते हैं, वे भाव निम्नलिखित हैं-

  1. जन्म कुंडली का तृतीय भाव 
  2. जन्म कुंडली का षष्ठ भाव 
  3. जन्म कुंडली का दशम भाव

जन्मकुंडली के तृतीय भाव में मंगल का फल-

जन्म कुंडली के तीसरे भाव को पराक्रम का भाव माना जाता है और मंगल पराक्रम के कारक ग्रह हैं इसलिए जन्म कुंडली के तीसरे भाव में मंगल जातक के लिए श्रेष्ठ फल दायक माने जाते हैं। जन्म कुंडली का तीसरा भाव भाई बहन व कार्यक्षेत्र का भी होता है। इसलिए जन्म कुंडली के तीसरे भाव में मंगल ग्रह के होने से जातक को अपने भाई बहन का भरपूर सहयोग मिलता है। इसके साथ ही मंगल के प्रभाव से जातक का मस्तिष्क बहुत तेज कार्य करता है और अपनी तीव्र बुद्धि से जातक अपने कार्यक्षेत्र पर लोगों का सहयोग प्राप्त करता है व उनसे आसानी से अपना काम निकलवा लेता है। 

जन्मकुंडली के षष्ठ भाव में मंगल ग्रह का फल-

जन्म कुंडली का षष्ठ भाव ऋण भाव कहलाता है। इस भाव में मंगल का होना शुभ माना जाता है। आर्थिक रूप से समृद्ध करने के साथ ही जन्म कुंडली के इस भाव में मंगल होने से जातक शारीरिक रूप से मजबूत व अत्यंत संघर्षशील बनता है। इस भाव के कारक ग्रह होने के कारण मंगल जातक को अन्य सभी सुख भी प्रदान करते हैं। 

जन्मकुंडली के दशम भाव में मंगल ग्रह का फल-

जन्म कुंडली के दशम भाव में मंगल की उपस्थिति अत्यंत लाभदायक मानी जाती है। ऐसे जातक को धन लाभ होने के साथ साथ भूमि, भवन व वाहन का सुख प्राप्त होता है। 

निष्कर्ष-

इस प्रकार से हमने जाना कि जन्मकुंडली के तीसरे, छठे व दसवें भाव में मंगल अत्यंत श्रेष्ठ फल देते हैं।

जन्मकुंडली के किन भावों में मंगल देता है शुभ फल?
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