क्या शनिदेव की साढ़ेसाती भी फलदायी होती है ?

शनिदेव की साढ़ेसाती

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों में शनिदेव न्याय के देवता है। इन्हें कर्मफल दाता माना गया है। हमारे द्वारा किए गए अच्छेबुरे कर्मों का फल शनिदेव द्वारा दिया जाता है। ये फल शनिदेव अपनी महादशाअंतर्दशा, ढैया अथवा साढ़ेसाती के समय में देते है। शनिदेव को ज्ञान एवं वैराग्य का कारक माना जाता है। 12 राशियों में से मकर एवं कुंभ राशियों के स्वामी शनिदेव है। वहीं तुला के 20 अंशों पर इन्हें उच्च भाव तथा मेष राशि  के 20 अंशों पर इन्हें नीच भाव प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को वायु तत्व, कल कारखाने, मजदूर वर्ग, असाध्य रोग, स्थाई संपत्ति, भूगर्भ शास्त्र, भूमि संबंधी कानून, खदान, जमींदार, न्यायाधीश, पैरो घुटने के रोग इत्यादि का कारक तत्व माना जाता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिदेव की साढ़ेसाती सामान्यतः तो मनुष्य के लिए कष्टदायक मानी जाती है किंतु यदि व्यक्ति सदाचारी एवं धार्मिक प्रवृत्ति का होता है तब ऐसे व्यक्ति के लिए शनि की साढ़ेसाती लाभकारी बन जाती है। ऐसे लोगों के लिए शनि की साढ़ेसाती स्थिर उन्नति देने वाली एवं जीवन के मूलभूत सिद्धांतों को समझाने वाली होती है।

आपकी कुंडली में शनिदेव की स्थिति देख कर पता लगाया जा सकता है कि शनिदेव की साढ़ेसाती आपके लिए प्रकार फलदायी रहेगी।

शनिदेव की साढ़ेसाती आपके लिए इस प्रकार से फलदायी भी साबित हो सकती है।

शनि की साढ़ेसाती जिन व्यक्तियों के लिए शुभ होती है वे आलस छोड़ देते है। ऐसे लोगों की कर्मनिष्ठा में वृद्धि होती है। वे लोग अपने लक्ष्य प्राप्ति के प्रयासों में तेजी लाते हैं एवं कार्य में और कुशलता प्राप्त करने पर ध्यान देते हैं।

ऐसे व्यक्ति भूमि के क्रयविक्रय इत्यादि को लेकर किसी विवाद या मुकदमे में फंसे हो तो इन्हें शनिदेव की साढ़ेसाती के दौरान अपने पक्ष में लाभ होता है।

लंबे अंतराल से अटके हुए कार्य एवं योजनाओं को गति मिलती है एवं लोग समाज में मान, प्रतिष्ठा एवं ख्याति की वृद्धि होती हैं।

साढ़ेसाती के दौरान ऐसे लोगों के वाणी में मिठास एवं व्यवहार में विनम्रता की वृद्धि होती है एवं कार्य कुशलता का विकास भी होता है। शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव को संतुलित बनाए रखने हेतु आप सदेव अपना व्यवहार और आचरण अपने मातापिता और अन्य लोगो के प्रति अच्छा रखें।

शनि की साढ़ेसाती कई लोगों की आर्थिक  एवं सामाजिक स्थिति को मज़ूबत करती है। साथ ही उन्हें शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर विकसित भी करती है। उनकी बौद्धिक शक्ति का विकास होता है।

शनिदेव की साढ़ेसाती के चलते व्यक्ति अपने जीवन में कई प्रकार के उतारचढ़ाव देखता है किन्तु यह साढ़ेसाती पश्चात व्यक्ति को अपने जीवन में नए अवसर और धनलाभ होता है। साढ़ेसाती खत्म होने के बाद व्यक्ति का प्रबल समय शुरू हो जाता है।

मान्यताएं है कि शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुरूप फल देते है। यदि आपके कर्म अच्छे है तो साढ़ेसाती के दौरान भी आपको परेशानियों का सामना नहीं करना होगा।आपके लिए साढ़ेसाती का प्रभाव काम हो जाएगा।

शनिदेव की साढ़ेसाती का यह समय आपको जीवन में भविष्य में आने वाली कठिनाइयों से लड़ने की हिम्मत देगा। अपने कर्मों को अच्छा बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करेगा। जिससे आप अपने जीवन को एक नयी राह दे पाएंगे।

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