जन्मकुंडली में चंद्र राहु युति का प्रभाव भाग-3

Alok Astrology

अपने पिछले लेख में हमने जाना कि जन्मकुंडली में चंद्र राहु का योग कुंडली के पंचम भाव से लेकर अष्टम भाव को किस तरह प्रभावित करता है । एक सामान्य प्रभाव जो सभी भावों में देखा गया है कि जन्म कुंडली में चंद्र राहु युति के होने से जातक मानसिक रूप से पीड़ित होता है । पिछले लेख को आगे बढ़ाते हुए आज हम जन्म कुंडली के नवम भाव से लेकर द्वादश भाव में चंद्र राहु युति से जातक के जीवन में होने वाले बदलावों पर बात करेंगे ।

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जन्मकुंडली के नवम भाव में चंद्र राहु युति का प्रभाव – 

जन्म कुंडली का नवम भाव धर्म व अध्यात्म का भाव माना जाता है । नवम भाव धर्म का भाव है इसलिए जन्म कुंडली के इस भाव में चंद्र राहु की युति होने से जातक अपने धर्म से विमुख हो सकता है । यहाँ धर्म का अर्थ सिर्फ पूजा पाठ से नहीं अपितु एक व्यक्ति के रूप में अपने सम्पूर्ण दायित्व से है । जैसे आपका अपने माता पिता के प्रति व आपका अपने समाज व देश के प्रति एक धर्म होता है । चंद्र राहु युति के प्रभाव से जातक अपने इस धर्म से भटक जाता है लेकिन ऐसी स्थिति में यदि जातक आध्यात्मिक हैं तो भाग्य का पूरा साथ मिलता है ।

जन्मकुंडली के दशम भाव में चंद्र राहु युति का प्रभाव – 

जन्म कुंडली के दशम भाव में चंद्र राहु युति जातक को मानसिक रूप से अशांत कर सकती हैं साथ में ऐसे जातक के मातृत्व सुख में भी कमी देखी जाती है । जन्म कुंडली के दशम भाव में दोष होने पर जातक को पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ता है । इसके अलावा जातक के दाम्पत्य जीवन में भी कुछ परेशानियाँ आ सकती हैं ।

एक समस्या और जातक के सामने आती है कि उसका किसी भी एक कार्य में मन नहीं लगता है यानि वह मानसिक रूप से स्थिर होकर एक जगह लंबे समय तक कार्य नहीं कर पाता है । कई बार ऐसा भी होता है कि और बेहतर पाने की तलाश में जो अपने पास होता है उसे भी गंवा बैठता है ।

जन्मकुंडली के एकादश भाव में चंद्र राहु युति का प्रभाव – 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली के एकादश भाव में कोई ग्रह जातक को बहुत अधिक हानि नहीं पहुंचता है । किन्तु चंद्र राहु युति होने से कुछ समस्याएं अवश्य आती हैं । ऐसे जातक जो विद्यार्थी हैं, जन्मकुंडली में चंद्र राहु युति के प्रभाव से उनका पढ़ाई से मोह भंग हो सकता है । ऐसे जातक परीक्षा उत्तीर्ण तो कर लेंगे किन्तु बहुत अच्छे अंक लाना मुश्किल होगा । अगर जातक विवाहित है तो दाम्पत्य जीवन में कुछ मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं ।

जन्मकुंडली के द्वादश भाव में चंद्र राहु युति का प्रभाव – 

जन्म कुंडली के द्वादश भाव में चंद्र राहु की युति होने से जातक को कई बार
दूसरों की गलती का खामियाजा भुगतना पड़ता है यानि करे कोई भरे कोई वाली कहावत चरितार्थ हो जाती है । इसके साथ ही जातक धन संचित कर पाने में असफल रहता है और जो धन उसके पास संचित होता है वह भी व्यर्थ के कार्यों में व्यय हो जाता है । चंद्र राहु युति के प्रभाव से जातक के स्वास्थ्य में भी गिरावट आ सकती है ।

निष्कर्ष – 

इस प्रकार से हमने जाना कि जन्म कुंडली में चंद्र राहु युति प्रथम भाव से लेकर द्वादश भाव को किस तरह से प्रभावित करती है । इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए या कम करने के लिए आप हर सोमवार को शिवलिंग पर दूध में काले तिल मिलाकर अर्पित करें । हर माह की पूर्णिमा को व्रत रखें व शिव जी की पूजा करें । ये कुछ आसान उपाय अपनाकर आप चंद्र राहु युति के दुष्प्रभावों को निश्चित रूप से कम कर सकते हैं

जन्मकुंडली में चंद्र राहु युति का प्रभाव भाग-3

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