हम सभी अपने जीवन में कभी नया कभी उपवास जरूर रखते हैं। कुछ लोग पावन दिनों पर आराधना के रूप में उपवास रखते हैं, कुछ लोग दूसरों को देख कर उपवास रख लेते हैं और कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिन्हें मजबूरी में उपवास रखना पड़ता है। लेकिन उपवास का सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं है बल्कि आयुर्वेद में भी उपवास के अनेक महत्व बताए गए हैं।
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आज के लेख में जानेंगे कि आयुर्वेद के अनुसार उपवास रखने से क्या क्या लाभ होते हैं? इसके साथ ही यह भी जानेंगे कि किन लोगों को उपवास रखना चाहिए और किन लोगों को उपवास रखने से बचना चाहिए?
आयुर्वेद में उपवास का महत्व -
आयुर्वेद में उपवास को चिकित्सा के रूप में बताया गया है। आयुर्वेद की भाषा में इसे लंघन चिकित्सा कहा जाता है। आयुर्वेद में लंघन चिकित्सा के कुल 10 प्रकार बताए गए हैं जिनमें से एक उपवास भी है। लेकिन अगर चिकित्सा का नाम सुनते ही कोई उपवास रखने लगे तो यह जरूरी नहीं है कि इससे उसका लाभ ही होगा। अधूरी जानकारी के आधार पर रखा गया उपवास व्यक्ति को नुकसान भी पहुँचा सकता है। इसलिए उपवास रखने से पहले इससे होने वाले सभी फायदे व नुकसान को विस्तार से समझ लेना आवश्यक है।
उपवास कब करना चाहिए?
आयुर्वेद में उपवास करने के लिए सही समय का वर्णन किया गया है। अपने पिछले लेख में हम जान चुके हैं कि आयुर्वेद में कुल सात धातुओं का वर्णन मिलता है जिसमें पहली धातु रस है। जब शरीर में रस धातु से जुड़े विकार उत्पन्न होने लगते हैं तो उसके लिए आयुर्वेद में उपवास चिकित्सा बताई गई है। उपवास रखने से शरीर में रस धातु की स्थिति में सुधार देखने को मिलता है। इसके अलावा पाचन से संबंधित किसी भी समस्या के लिए भी उपवास किया जा सकता है।
रस धातु से जुड़े हुआ विकार -
शरीर में रस धातु के बिगड़ने से निम्नलिखित विकार उत्पन्न होते है-
रस धातु के असंतुलित होने से व्यक्ति की खाने में रुचि कम हो जाती है या पूरी तरह से खत्म हो जाती है। उसका खाना खाने का मन नहीं करता है।
ऐसे व्यक्तियों को कई बार खाना खाते समय उसका स्वाद नहीं मिल पाता है। जो लोग यह शिकायत करते हैं कि उन्हें तो खाने में कोई स्वाद नहीं आ रहा है इसका मतलब है कि उनको रस धातु से संबंधित कुछ समस्या है।
रस धातु के बिगड़ने से व्यक्ति को शरीर में भारीपन लगने लगता है।
आयुर्वेद में उपवास रखने के लिए एक निश्चित समय बताया गया है। जब शरीर मने हल्कापन महसूस होने लगे व भूख प्यास समय पर लगने लगे तो यह समझ जाना चाहिए कि आपको उपवास करने का फल मिल गया है। उसके बाद आपको उपवास नहीं करना चाहिए।
उपवास करने से होने वाले नुकसान-
सामान्य उपवास से व्यक्ति को नुकसान नहीं होता है किन्तु जब व्यक्ति बहुत अधिक उपवास रखने लगता है, जिसे आयुर्वेद में अति लंघन कहा गया है, तो उससे व्यक्ति को निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं-
व्यक्ति के शरीर में कमजोरी आ सकती है।
शरीर की हड्डियों व शरीर के जोड़ों में दर्द हो सकता है।
अति लंघन से व्यक्ति की भूख व प्यास पूरी तरह से समाप्त हो सकती है।
उपवास में किन चीजों का सेवन करना चाहिए?
उपवास करते समय गरम पानी का सेवन लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा गरम दूध व फलों का सेवन भी उपवास करते समय किया जा सकता है।
उपवास के फायदे-
उपवास रखने से शरीर को सभी दोषों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ भूख प्यास व पाचन क्रिया भी बेहतर होती है।
निष्कर्ष-
इस प्रकार से हमने उपवास से होने वाले सभी फायदे व नुकसानों का विस्तार से विश्लेषण किया।