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पुराणों अनुसार हिन्दू धर्म की प्रमुख परम्पराएं

हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म शास्त्रों में पुराणों का बहुत महत्व है। इसमें ज्ञान की बातो के साथ साथ धर्म और विज्ञान के विषय में भी बहुत गंभीर बाते बताई गई हैं। आज की पोस्ट में हम आपको कुछ ऐसी परम्पराओं के बारे में बताने वाले हैं जिसे अपनाकर आप जीवन में खुशियाँ ला सकते हैं। आप इन्हें एक बार अपनाकर जरुर देखे।

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  • एकादशी 

पुराणों में व्रतो के बारे में बहुत बताया गया है। उनके अनुसार व्रत करना बहुत लाभदायक होता है। पुराने जमाने से एकदशी, चतुर्थी और प्रदोष व्रत रखे जाते थे। ऐसा  माना जाता है इन व्रतो को रखकर व्यक्ति कई संकटो से मुक्ति पा सकता है। कुछ लोग मानते हैं व्रत और उपवास एक ही है, लेकिन ऐसा नही है। व्रत वो है तो संकल्प लेकर क्या जाता है।

  • पावन गंगा नदी में स्नान 

सालो से हिन्दू धर्म में पवित्र गंगा नदी में स्नान को शुभ माना गया है। पुराणों अनुसार अलग अलग पर्वो पर गंगा नदी में स्नान का अपना महत्व है।

  • तीर्थ परिक्रमा 

पुराणो अनुसार व्यक्ति को अपने जीवन काल में कम से कम एक बार तीर्थ यात्रा जरुर करनी चाहिए। इसमें वर्णित हैं कि हर तीर्थ का महत्व है और तीर्थ यात्रा करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।

  • तुलसी का पूजन और सेवन 

पुराणों में तुलसी के पौधे को माँ के रूप में पूजा जाता है। सालो से तुलसी के पौधे का पूजन किया जाता रहा है। पहले के जमाने में पानी और भोजन को शुद्ध करने के लिए उसमें तुलसी डाली जाती थी, इससे उनकी सेहत अच्छी बनी रहती थी।

  • शिवलिंग पूजन 

पूरानो में शिवलिंग और शालिग्राम के पूजन को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। शास्त्रों अनुसार ये दोनों भगवान् भोलेनाथ और विष्णु जी के विग्रह रूप हैं। इनके पूजन से भगवान् का आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति का जीवन सफल हो जाता है।

  • गौ माता की सेवा 

पुराणों में वर्णित है कि गौ माता का पूजन बहुत फलदाई है। हिन्दू धर्म में सभी त्योहारों में गौ माता की पूजा और सेवा की जाती है। ऐसा माना जाता है गौ माता की सेवन करने से व्यक्ति को उसके पापो से मुक्ति मिल जाती है।

  • श्राद्ध कर्म 

हिन्दू धर्म में पितृ जनों का श्राद्ध करना बहुत जरुरी माना गया है। ऐसा माना जाता है ऐसा करने से पितरो को शांति मिलती है और घरवालो को उनका आशीर्वाद मिलता है। श्राद्ध कर्म सही तरीके से करने से व्यक्ति को जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।

  • पाठ 

पूराणों में और वेदों में लिखा है कि रोज और नियमित रूप से गीता या पुराण या वेदों का पाठ करने से व्यक्ति के मन के साथ साथ मस्तिष्क में भी सुधार आता है और व्यक्ति के जीवन में सुख शांति और सुकून आता है।

  • संध्याकाल पूजन 

प्राचीन काल से ही सुबह और शाम को पूजा पाठ करने की सलाह दी जाती है। यदि व्यक्ति काम में व्यस्थ होने की वजह से सुबह पूजा नही कर पाता है तो उसे संध्या के समय पूजन जरुर करना चाहिए। देर तक पूजा करने का समय नही है तो हाथ जोडकर भगवान् से प्रार्थना जरुर करनी चाहिए। पुराणों अनुसार संध्यावंदन से व्यक्ति में आत्मविश्वास आता है और वो सुख भोगकर मोक्ष प्राप्त करता है।

  • माता पिता का आदर और सेवा 

पुराणों में लिखती है की माता पिता की सेवा से बच्चो को बहुत अच्छे फल मिलते हैं। सालो से उनकी सेवा को महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। पुराणों में कई ऐसे उदाहरण हैं जैसे श्री राम, श्रवण कुमार आदि। 

  • प्रायश्चित करना 

सालो से हिन्दू धर्म में मंदिर में जाकर ईश्वर से प्रार्थना कर प्रायश्चित करने की परम्परा रही है। पुराणों में और स्मृति में प्रायश्चित करने का सही तरीका विस्तार से समझाया गया है। 

  • जनेऊ धारण करना 

हिन्दू धर्म अनुसार व्यक्ति जब जनेऊ धारण करता है तब वो सही मायने में हिन्दू बनता है। इसे धारण करने के नियमो के बारे में पुराणों में वर्णित हैं। यदि व्यक्ति जनेऊ के नियमों का पालन सही तरीके से करने में असमर्थ हैं तो वो दीक्षा ले सकते हैं। सालो से हमारे ऋषि मुनियों ने दीक्षा परंपरा को निभाया है। ऐसा माना जाता है किसी गुरु या संत से दीक्षा जरुर लेनी चाहिए। सिख धर्म में भी दीक्षा का प्रचलन है, उस धर्म में इस परंपरा को अमृत संचार के नाम से जाना जाता है।

  • सफ़ेद वस्त्र बिना सिले पहनना 

हिन्दू धर्म में जब भी कोई पवित्र कर्म किया जाता है जैसे यज्ञ या हवन या तीर्थ परिक्रमा तब व्यक्ति को बिना सिले हुए सफ़ेद वस्त्र पहने की सलाह दी जाती है। ये परम्परा सालो से चली आ रही है। पहले लोग मंदिर भी इसी तरह जाते थे।

  • दान करना 

हिन्दू धर्म और पुराणों में दान करना बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है।  वैदिक कालो से व्यक्ति कई तरह के दान करते आ रहे हैं जैसे गौ दान, भूमि दान, भोजन दान, विद्या दान, कन्या दान आदि। 

आप इनमें से कौन सी हिन्दू परंपरा का निर्वाह नियमित रूप से करते हैं?

पुराणों अनुसार हिन्दू धर्म की प्रमुख परम्पराएं
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