आपके घर के पूजा कक्ष के लिए उत्तम वास्तु क्या है ?

पूजा कक्ष

प्रार्थना, धार्मिक अनुष्ठान , हवन और पूजा आदि का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व होता है। अपने जीवनकाल में, वित्तीय मुद्दों से लेकर स्वास्थ्य तक कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जब कोई समस्या आती है, आप उसके समाधान के लिए भगवान से प्रार्थना करें। इसी तरह आपके घर की समृद्धि एवं खुशहाली के लिए एक पूजा कक्ष आवश्यक है। पूजा कक्ष आपके घर में सकारात्मक एवं पवित्र वातावरण बनाए रखता हैं।

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प्रत्येक मनुष्य जब अपना घर बनाता है तो वह चाहता है की उसके सपनों का घर, सुन्दर एवं आकर्षक बने एवं घर में हमेशा खुशहाली और बरकत बनी रहे। आपके घर का सही वास्तु घर में सकारात्मक ऊर्जा को बनाए  रखने और सुख समृद्धि बनाए रखने में फायदेमंद साबित होता है।

इस लेख से जानें वास्तु शास्त्र के अनुसार आपके सपनों के घर में मंदिर यानि पूजा घर सम्बंधित सम्पूर्ण वास्तु की जानकारी। इस लेख की जानकारी का उपयोग कर के आप भी आसानी से अपने घर के पूजा घर को वास्तु अनुरूप बना सकते है।

आपको पूजा घर को वास्तु अनुकूल बनाने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना पड़ेगा।

पूजा कक्ष की वास्तु अनुकूल दिशा

पूजा कक्ष के लिए सबसे अनुकूल दिशा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि सूर्योदय, पूर्व एवं उत्तर दिशा से होता है। सूर्य की किरणें अगर सीधे उस कमरे में प्रवेश करती हैं तो यह आपके लिए बहुत शुभ होगा। सूर्य देव से आशीर्वाद मिलता है। इन दिशाओं को शांतिपूर्ण और सकारात्मक माना जाता है। वास्तु के अनुसार ये स्थान ध्यान और प्रार्थना के लिए हर प्रकार से अनुकूल  है।

पूजा कक्ष के लिए सही जगह

बहुत से लोग मानते हैं कि पूजा कक्ष पहली मंजिल या किसी अन्य सुविधाजनक जगह पर होना चाहिए। लेकिन, वास्तु शास्त्र के अनुसार, आप के घर के पूजा कक्ष के लिए उत्तम जगह भूतल पर है। न ही तहखाने में और न ही पहली मंजिल पर। तहखाने को एक अंधेरी जगह माना जाता है और अंधेरे में पूजा कक्ष होना एक अच्छा विकल्प नहीं है।

मंदिर इस स्थान पर न बनाए

आजकल, प्रवृत्ति यह है कि घर में एक बड़ा मंदिर बनाने के बजाय एक छोटा मंदिर रखा जाए। वास्तु शास्त्र के अनुसार मंदिर के लिए बेडरूम, रसोई और शौचालय के पास की जगह अनुकूल नहीं है। आप पूजा कक्ष का निर्माण इन सब से अलग स्थान पर करें। आप उत्तर दिशा में रहने वाले कमरे में मंदिर रख सकते हैं।

भगवान की मूर्तियां दीवार से उचित दूरी पर रखें 

सभी मूर्तियों को इस स्थिति में रखना चाहिए कि दीवार और मूर्तियों के बीच कम से कम एक इंच की दूरी हो। इससे हवा का प्रवाह बढ़ जाता है। साथ ही आप के पूजा कक्ष हर कोने में हवन एवं अगरबत्ती का धुआं जा सके। इससे आपके पूजा कक्ष की सभी दिशा में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता रहेगा।

दीपक एवं अगरबत्तियां लगाने का उचित स्थान

पूजा कक्ष में दीपक और अगरबत्तियां जलाई जाती हैं ताकि घर में देवताओं का आवाहन किया जा सके। वास्तु शास्त्र कहता है कि मूर्तियों के सामने दीपक अगरबत्तियां लगाना चाहिए।

पूजा कक्ष के लिए गलत चीज़ें

वास्तु शास्त्र के अनुसार आपके पूजा कक्ष में या पूजा घर के पास मृत लोगों की तस्वीरें, युद्ध से जुडी तस्वीरे, फटे या टूटे  हुए छाया चित्र, पुराने सूखे फल-फूल, ज़ंग लगे लैंप या अन्य ऐसी कोई भी वस्तु को नहीं रखना चाहिए जो कमरे में नकारात्मक उर्जा का प्रवाह करे।

वास्तु शास्त्र से सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण बातों को आप भी जान सकते है। हमारे द्वारा दिए जाने वाले एस्ट्रोलॉजी कोर्सेज को ले कर आप इन्हे सीख कर अपने जीवन में आत्मसात करें एवं अपने जीवन को और खुशहाल बनाए। हमारे कोर्सेज के माध्यम से आप भी अच्छे व पेशेवर वास्तु ज्ञानी बन सकते है।

आपके घर के पूजा कक्ष के लिए उत्तम वास्तु क्या है ?

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