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जन्मकुंडली में सूर्य राहु युति का प्रभाव भाग-1 !

जन्मकुंडली में सूर्य राहु युति का प्रभाव भाग-1 !

हमारी जन्म कुंडली में बहुत सारे योग बनते हैं जन्म कुंडली के कुछ योग हमारे लिए बहुत शुभ साबित होते हैं तो वहीं कुंडली के कुछ दोष हमारे लिए अशुभ फल लेकर आते हैं इसके पहले हम जन्म कुंडली में चंद्र राहु युति के प्रभावों पर तीन भागों में विस्तार से चर्चा कर चुके हैं आज हम ऐसे ही एक योग के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसका नाम हैसूर्य राहु युति

 

आज के लेख में हम जानेंगे कि जन्म कुंडली में सूर्य राहु युति होने का क्या अर्थ है ? साथ ही यह भी समझेंगे कि कुंडली के प्रत्येक भाव में सूर्य राहु की युति होने से जातक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ? पहले भाग में हम जन्म कुंडली के प्रथम भाव से लेकर चतुर्थ भाव तक सूर्य राहु युति के प्रभाव का विश्लेषण करने जा रहे हैं

क्या आप अपनी कुंडली में राहु की युति के बारे में जानना चाहते हैं? सूर्य राहु की युति ज्योतिष में सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। यहां कुछ सूर्य राहु युति हैं और आप इस समस्या से कैसे बाहर निकल सकते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी श्री आलोक खंडेलवाल जी के साथ ज्योतिष परामर्श ऑनलाइन प्राप्त करें।

जन्मकुंडली में सूर्य राहु युति क्या है ?

जन्मकुंडली के किसी भाव में सूर्य राहु का ग्रहण जातक के जीवन कई मायनों में प्रभावित करता है जैसा कि हम जानते हैं सूर्य जातक के आत्मविश्वास के प्रतीक होते हैं कुंडली में सूर्य को  राहु के द्वारा  ग्रहण लगने  से जातक को आत्मविश्वास में भारी कमी देखने को मिलती है सूर्य राहु के योग से जातक के अपने पिता से संबंध खराब हो सकते हैं अब हम भावों के अनुसार सूर्य राहु युति के प्रभावों को समझते  हैं

जन्मकुंडली के प्रथम भाव में सूर्य राहु युति का प्रभाव -

जन्म कुंडली के प्रथम भाव या लग्न भाव में सूर्य राहु युति के होने से जातक के व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है ऐसे लोगों को अपने काम पर आत्मविश्वास नहीं रहता है जाने अनजाने में कुछ ऐसे कार्य कर बैठते हैं जिससे समाज में ना केवल अपना मान सम्मान खो देते हैं बल्कि निंदा के पात्र भी बन जाते हैं लेकिन ये तभी होता है जब सूर्य जातक की कुंडली में नीच राशि में बैठे हों यदि सूर्य उच्च राशि में विराजमान  हैं तो जातक का आत्मविश्वास बहुत बढ़ जाता है इतना अधिक आत्मविश्वास, जो कभी कभी अहंकार का रूप लेता है राहु के योग से स्थिति और भी खराब हो सकती है

जन्मकुंडली के द्वितीय भाव में सूर्य राहु युति का प्रभाव -

जन्म कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य राहु युति का प्रभाव किसी भी दृष्टि से शुभ नहीं कहा जा सकता है दूसरे भाव को धन भाव भी कहा जाता है इस भाव में सूर्य राहु युति होने से जातक आर्थिक रूप से परेशान हो सकता है व्यर्थ धन व्यय होने की संभावना है यदि गुरु जैसे शुभ ग्रह की दृष्टि कुंडली के इस भाव पर पड़ रही हो तो सूर्य राहु युति के बुरे प्रभाव थोड़े कम हो सकते हैं।

जन्मकुंडली के तृतीय भाव में सूर्य राहु युति का प्रभाव -

जन्म कुंडली का तीसरा भाव पराक्रम भाव होता है इस भाव के कारक ग्रह राहु है राहु के होने से सूर्य राहु की यह युति जातक के लिए थोड़ी बहुत समस्याएं तो अवश्य पैदा कर सकती है किन्तु कई मामलों में श्रेष्ठ भी साबित होगी ऐसा जातक अपने पराक्रम से कार्यक्षेत्र में उच्च पद प्राप्त कर सकता है।

जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य राहु युति का प्रभाव -

जन्म कुंडली का चतुर्थ भाव जातक के सुख का भाव होता है कुंडली के सुख भाव में सूर्य राहु युति होने से जातक सर्वथा सुख विहीन हो सकता है उसके अपनी माँ से मतभेद हो सकते हैं , मित्रों से धोखा मिल सकता है सामाजिक जीवन जीने वाले जातकों के लिए यह युति  बहुत अशुभ सिद्ध हो सकती है समाज में आपकी प्रतिष्ठा आपका मान सम्मान कम हो सकता है 

निष्कर्ष -

इस प्रकार से हमने जन्म कुंडली के प्रथम भाव से लेकर चतुर्थ भाव में सूर्य राहु युति होने से जातक के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को विस्तार से समझा अगले भाग में हम चतुर्थ भाव से आगे के भावों पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करेंगे 

जन्मकुंडली में सूर्य राहु युति का प्रभाव भाग-1 !
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